________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 需罪狀器器梁器器器蒸米諾器器器器张器器器器器 *तर सी०११ इतिवली आंतरादिक च्यार हारे दूहां संभवे नहीं एकालहार पांचमा कह्यो, हिवे सिद्धगमननो छट्टो अंतरद्वारे समुचय पढी होप आधी विरहकाल जघन्य 1 समानो उत्कृष्टो छमासरू मुचय जंबरोपे धातकी खंडे जंबूद्दीपने महाविदेहे धातकी खंडते महाविदेहएसिद्धगति जावानो उत्कटो विरह ते पृथकवरसनो तिरुपडे पुष्कराई हीपे समुचय बने महाविदेह एविहं भांगावरस 1 झाझरानो प्रांतर' हुई पंच भरत५ ऐर वतजन्म आश्री 18 कोडाकोडि सागरकाइकणा तेहायमानकालेतोत्रीजा पाराने भांतरे जन्म 1 अने वई मान काले चोथा पाराने आदि जन्मड्डू एतलो कालजणां जाणवो साहरण आश्रीतो जघन्य एकसमय उत्कृष्टो संख्याता सहअवरसानो आता जाणवो 2 गतिद्वारे नरकगतिना पाव्या उपदेस पामीने सोझवानो उत्साटो आंतरो पृथक सहअवरसानो अांतरोपडे तिचना पाव्यानो पृथक् सोवरसनो अांतरो पड जघन्य 1 एक समयनो तिरंचनी स्त्रीनो सुधर्मा यांनना देवलोकना देवतावोंने शेषते देवता व ने शेषते देवताना पाव्यानो मनुष्य पुरुषनो मनुष्यणी स्त्रीनोदे बौना एतलाना पाव्या प्रत्येकर उपदेस सांभलीने मुक्तिपांमबानो जघन्य 1 समय उत्कृष्टो वरस झाझरानो पांतर पडे स्वयं वुडीनु उपदेसे करी बुधिया ते हनो भतरो संख्याता बरसना सहस्त्र उत्कटो विरहपड वली पृथवी पाणी वनस्पति सुधर्म ईशानना देवतामा पपिली घेरनारकोना एत *लाना पाव्यानो सीझवानो प्रतिक जघन्य 1 समु उत्कृष्टो संख्याता वरसना महयनो जाणवो जघन्य 1 समय सगले लेवो 3 वेदहारे 4. पुरुषमरी पुरु षडडू ने प्रथमभांगे उत्कृष्टो तक एकवरसनो माझ रो अांतरो पडे गेष स्त्रीपुरुष नपुसकना तीनवेदना आठ भागानो सीभवो अांतरो जघन्य 1 समु उत्कृष्टो पांतरो संख्याता वरसना सहयनो पड बली प्रत्येक बुड्डौनो पिण मांतरो मज संख्याता वरसना सहननो पडे तथावली पुरुषवेदनो *उत्कृष्टो वरसनो झाझरो पांतरो पडे स्त्रीवेद नपुसकवेदनो प्रत्य कर जघन्य 1 समु उत्कृष्टो संख्याता वरसना सहयनो तरो पडे 4 तीर्थद्वारे 職業業器养業兼職兼差業兼差兼器義業業兼差兼苯基苯器 For Private and Personal Use Only