________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra Acharya Shri Kallassagarsur Gyanmandir नंदी भा० *ERENEKKERENERNMEKIN* बनियमान सौ० 4 विडतरे थी चटरासौ ताई सौ० तो 4 च्यारि समां तांई सी० पांचमे समय नियमान सी० मातरुपडे 5 पंचासी यो लेद्छताई सीझेतो तीन समालगे सी० चौथे समय नियमानसी०६ पछे वली सताणुथी लेदू एकमोबेलगे सी० तेवेसमालगे सी० बीजे सम * यनियसांनसी० पछे वली एकसो तीनथी लेई 108 लगे तो एक समय सौ. नियमानिश्चय वीजे समय न सी. अांतर पडे गाधावत्तीसा अडया * लासट्ठी वावत्तरीय वोधव्या चुलसीयछनउडू दूरहित पट्टतर सयंच 1 अन पाठ समांथी प्रारंभीने निरंतर 2 समाताई प्रभुजतां ज्ञानपुर्वगति थाई * * संख्याए जक्षण ण एको समयणं पहमयंसिवाणगथोवाएग सिसांयो संख्यातगुणा 1 हये खेत्रहार कहे ते 15 कर्मभूम 30 चकर्मभूमिपूर्व अंतरहीपा सर्व 45 लाख जोजन मध्ये मोचछे शेवहार मुलहार बीजो करियो 3 हिवे स्पर्शना हार कही येथे जे अनंता आगे सिवले तेसर्व प्रदेशांकरी जीव सुस्पयते यथाच फूसई अणं ते सिझे सव्वपएसेषि नियमझो सिद्धो तेविनयममो सिष्टो तेविनय असंखेज गुणादेसपएसेहिं जेपुट्ठा 1 इतिषिवे काल * द्वार पांचमो कहेछे जेहि अट्टमयंसिकाई बडो समयानिरंतरतत्यवीस दसगेसूचउदुरोमेसे जवमाचत्तारि / जजिहां 2 एकमो पाठ१०८ एकसमय * सौ तिणेर ठामि पाठ समालगे निरंतरसी० बी०जेणे क्षेत्रे 20 सीझे तिणे क्षेत्रे यार समालगे निरंतर सीमे द. जेणे चोत्र 10 सीमे तिहां * यार समालगे निरंतर सीझे दुसे जिहां जिहांवे विण च्यारि प्रमुख सौझे तिहार वेसमा लगे निरंतर मीझे ज०जव मध्यना च्यार समां ताई निरंतर सौझे एसंक्षेप मात्र गाथार्थ कहियो हि विशेषे पन्नरे हारे करी विस्तार कही के क्षेत्रबारे पन्चरे कर्म भूमि 108 सीझे उत्कृष्टा तिहार आठ समा लगे निरंतर सीझे हरिवासादिक अधोलोक क्षेत्रे यार समाताई निरंतर सौझे वासादि अईलोके च्यार समाताई निरंतर सीझे नंदन वन पंडकवन लवणसमुद्रवेसमा लगे निरंतर सीमे 1 कालहारे सर्पिणीने हायमानकाले सुसमससमे च्यार समालगे निरंतर सीझे सुसमे च्यार समा 米諾器諾器業諾器米 For Pate and Personal Use Only