________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तीर्थंकरी एक समवर सीझ बुद्धद्वारे 5 प्रत्ये क बुद्धि 10 सोझो स्वयंबुद्धी 4 सौझ बहिवोही 108 सीझ अतीर्थकर 108 सीझ हिये लिंगद्वार कहेछ नंदी भा० स्त्रीलिंगी 8 अन्यलिंगी 1. स्वयं लिंगी एकसो पाठ 108 सोझ चारित्रद्वार 7 मु कहे छ तेहना जे भांगाछे ते मध्ये जे जे भांगो परिहार विसवचा * रिवरहित होई तिणे 2 भागे 108 सोम ते भांगा किम सामाइकसूक्ष्म संपराय यथाख्यात 108 सोझो / सामाइक दोषस्थापनीक सूक्षसंपराय यथा ख्यात चारित्रना 108 सीझेजेसामायक परिहार विसुद्ध सूक्ष्म संपराय यथाख्यात चारित्रना 10 सोम तथा सामाइक छेदोपस्थामनीक परिक्षार विसुद्ध सून संपराय यथा ख्यात एणे भागे 10 सीझ हि बुद्धदारे पाचार्यादिकना प्रतियोधि स्त्री 1. सौम पुरुष 18 सीझ नपुसक 1. सोझ. वडयोहि 108 मोटी साध्वीना प्रतिबोध्यापुरुष 1. नपुसक 10 सीझ ज्ञानहारे पूर्व भवनी अपेचाइ'मति ज्ञान श्रुतज्ञामना 4 सीझ उत्क. टोमति श्रुत मनपर्यवज्ञानना उत्कृष्टा 10 सीझ सेषवेभांगाते मति श्रुत अविधि जानना केवल पामीने२०८ सौझ मति श्रुतर अवधि३ मनः पर्यवज्ञानी केवल पांमौने 108 सी० अवगाहना हारे जघन्य अवगाहनानाधणी 4 मी० उत्कृष्टीना 2 सौ०२ मध्यम ना 108 सौ०३ जघन्य मध्यम अवगाहनाना कुवडादिकएक समय आठ सौ. उत्कटहारे अनन्ताकाल ना समकितथको पद्याते जीव एकसमें 108 सी असंख्याता कालना पद्या१० सी० सम्यक्त * पामीने संख्याता कालना पञ्चा 10 सी० पनन्नर हारे एकोवामान्तरसिमाति मेतं अनु समयबारे जघन्य एक समय १२३४५६७८पाठ समालंगे निरन्तर सौ. तो आठ समाताई सौ. पहिला जघन्य एकवे 34 उत्कृष्टा 32 सौ. ते पाठ समां लगे निरन्तर सी० नवमे समे नियमान सौ. यांत रुपडे / पोथी पडतालीस ताई सी. तो सातसमा लगे मी० पिण पाठमे समय नियमान सी. यांतरूपडेर पके गुण पंचासथी लगे सी. तोछसमा लगे सी. पणि सातमे समय नियमान सौ. आंतरपडे 3 पके 61 यी प्रारंभीने विहतर 72 लगे सौ. पांच समां लगे सी० पणि छ? सम 業業業業养柴柴柴柴柴紫薯紫薯業業業業茶業蒸蒸 糕業兼差兼蒸养养業蒸蒸業業兼蒂諾苏紫紫蒜器業兼差兼 For Private and Personal Use Only