________________ Shri Mahav Jan Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 諾张器器器誰器光张黑壯洲網米諾諾點狀而深杀器器 * पाद्यन्ते तद्यथः कोष्टबुद्धिः पदानुसारिणो बुद्धिः बीजबुद्धिश्च तत्र कोष्ट इव धान्य या बुद्धिर्वाचामुणादिनिर्गतौ तदवस्यावेव सूत्राओं धारयति न किमपि तयोः सूत्वार्थयो कालान्तरे पि गलति मा कोष्ट तिः बो पुनरेकमपि सूवपदमवधार्य शेषमस्तु तमपि तदवस्थामेव शुतमवगाहते सा पदानुसारिणी या * पुनरेकमर्थपदं तथाविधमनुसृत्य शेषमतमपि यथावस्थितं प्रभूतमर्थमवगाहने सा वीजबुद्धि तु सा च सर्वोत्तम प्रकर्षप्राप्ता भगवतां गणतां ते हिउ मणुस्माणं नोपमत्त संजय सम्मद्दिटो पज्जत्तग संखिज्जवासाउय कम्मभूमिय गम्भवक्कं तिय मणुस्साणं जइ अपमत्त संजय सम्मदिष्टि पज्जत्तग सखिज्जवासाउय कम्मभूमिय गभ्भवतिय मणुस्साणं किं इड्डोपत्त अप्पमत्त संजयसम्म संख्याता बरसना आउखानाधणी क कर्म भभि ग गर्भज म मनुष्यने उ०उपजे एतले अप्रमादीने उपजे मनपर्यवनो० नही प०प्रमादी संसंजतीसस सम्यगदृष्टी प प्रमादी पर्याप्ताने मनपर्यवम्यान नही पजे सं संख्याता बरसना आ. पाऊपाना धणीने क० कर्मभूमिने ग० गर्भज म० मनुष्यने१ 0 उपजे नही ज० जोणवाक्यालंकार भै हेभगवान पूज्य अ० अप्रमादी सं० साधु ससम्यग्दृष्टी 50 पर्याप्तो संख्याता वरसनाचा उषानाधणीने क• कर्मा भमिनेगगर्भज म०मनुष्यने उ उपजे तो१ किं किस्बई ऋहिकरीने तेहने हां ऋष्हिते अट्ठावीमलब्धिजाणावी ते इहार लब्धिनु अधिकार लिखी के आठमी सहित लब्धिनु महात्य जे थने स्पर्श ऋविकरीरोगउपसमे विष्योसहि लब्धिनुएतलमहात्म्यजे लधुनीतोषधमरीखो जाणवोर खेलो महिल वधिनु एतल महात्म्बजे नाते पणि घोषव करी परिण मे३ जल्लोसहिलब्धिनु, एतलो४ महात्म्य जे सरीरनोमलपस्थिरोग रहित करेसव्योसहि लब्धिनु * एतलो महायजे सरीर संबंधिसर्व गोषधमयो थाइ५ संभिन्नत्रोतलवधिनु एतलोमहात्म्यले जे एकर इंद्री करोपांचेन्द्रौनी विषयजाणे 6 अवधिनी लब, 諾諾紫器器器狀黑黑渊洲那 黑米粥粥米器器紫器 For Private and Personal Use Only