SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 163
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 器黑米飛器紫米影器辦米紫紫器架架梁器黑米諾张 रह्याले ते केतलाकले तेकहेछ जे समय एकप्रदेश एक पाकाश प्रदेशमाहि थी काढतातो असंख्याती उत्पणी काललागे एतला पग्निकायना जीवाना प्रदेश एकेक पाकाथमध्ये एकेक जीव पग्निनो मूकतार एकलोक भरा तिसा पसंख्याता लोकभरार भगी लोक प्रमाणे अग्याता मंडवा अलो कनादेखे नेमाटे सु०भली परे खेल क्षेत्र स०सर्वदिथि विदिथिने विषे प.उत्कृष्टो अवधि म्यानतु धनी उत्कृष्टो अवधि म्याने करीने उतकटो एतलो क्षेत्र जाणे देखे तेकेच्यो देखे तेभग्गी हिवे काल थकी अने क्षेत्रथको देखवानो विचार कहेछ जे खेत्रथकी भांगुनना पसंख्यातमो भागमाल बाणेदेने मा तेकाल थकी आवलौना असंख्यातमा भावना कालनी भागली पाली वात भली मुंडी सुभ असुभ ते सर्व कहे 1 भावली जे खेत्र थकी भी गुलनो 20 संख्यातमो भागमात्र खेत्र जाणे देखे से काल थकी पावलीकाना संख्यातमा भागना कालगी आगली पाचलीवान कहेछे 250 बलो ने खेव थकी एक चंगुल मात्र खेव जाणे देखे मा०ले काम की भावकीना काल यकी अंतो का एकचोरी पागली पास की बात कहे के पापकी * जे खेत्र थक्की पृथक पांगुल मात्र खेत्र जायो देखे पा० तेकाल थकी पावलिकाना संपूर्ण कालना वरूपनी सर्व भागली पाळली वात कहेछे १०वकी % क्षेबदखे तेमु०काल थको मुहुर्त माहिली 2 भागली पाचली बात कहे तथा वली क्षेत्रथको पृथक पाथ क्षेत्रदेख तैकाल की पुरा मुहमी कालनी पागली पाकली बात कहेछे दि०गायली क्षेत्र यकी एकगार हेत्व देखे नैकाल थकीदि० एक दिन मारिलौर वातकहे. तथावती क्षेत्र थको पृथक गाउ क्षेत्र देख ते काल थकीदि. संपूर्ण एक दिननी भागलोषाछत्ती सर्ववात करके या सर्व जानवावोवली जो. येत्यथकी एक योजनमान क्षेत्र देखदि० नेकालयको पृथक दिवानी पागलीपावकी बातकहे प. बसोवथकीप० 25 पचीसजोजन क्षेत्र देखे प.तेकालयकी पक्ष मारिलौर आगल पाछलो वातकहे 10 एमबधत 2 भ० वली क्षेवथकी पांचसे जोजन कपीस जोजन छकलानो सर्वभरत क्षेत्रदेखे तेकामथकी पईमास पूरापक्षनी EXHENTINENEMNEHAHNEKHEN For Private and Personal Use Only
SR No.020495
Book TitleNandi Sutra Tika
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages512
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy