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उत्तरा?-प्रथमोऽध्यायः ॥ को चान उसी प्रकार फिर से आ पड़ती है १९ वर्ष से ग्रह उसी क्रम से फिर लगते हैं। ____ ममीक्षा-ज्योतिषी जी! आप एक ग्रहणा निकालने की कोई नई सारणी बना डालिये १९ वर्ष से वही क्रम इस हिसाब से जल्दी मारगी लप्यार हो जायगी राम शोचा ॥ ___ ज्यो० च० पृ० ११९ से १२५ पर्यन्त जो कुछ खगहन करने योग्य विषय है उन का स्वराछा इस पुस्तक में पूर्व लिख दिया है। अधिक मनमानी निरर्थक बातें इन पृष्ठों में भी हैं । जैसे "कोई धर्मात्मा सोशियल सान्फरेन्स का सभापति इन का ( ज्योतिषियों का ) हुक्का पानी बन्द करा देगा, ममाचारपत्र में मन का विज्ञापन न छापै (इत्यादि) इन के खोटे दिन प्रा गये इत्यादि" लिखा है।
समीक्षा-प्राप के तुल्य उच्च शिक्षा प्राप्त तथा उच्च पद प्राप्त हुए पुरुष को इस प्रकार के शब्द शोभा नहीं देते। रांड त्रिपों की भांति गाली देने से खराख्न नहीं होता ॥ ____ जोशी जी पण्डितों को जातिच्यत करने वाली सभा के सभापति श्राप बनेंगे या कोई और, मेरी समझ में तो इस प्रधान कर्भ के योग्य प्राप ही हैं। क्योंकि ऐसे सदाचारी धर्मात्मा अन्य लोग कहां, आप की इस कान्तरन्म का जल्मा कबतक हो जायगा। आगे आपने कहा कि इन के खोटे दिन आ गये, पर मुझे पूज्यपाद व्यास देव का वाक्य पाद आता है ॥ हत्तश्रीगणकान्वेष्टि गतायुश्चचिकित्सकान् । गतश्रीनगतायुश्च ब्राह्मणान्वेष्टिभारत ! ॥
(ज्यो० च० पृ० १२७ )-लम्बा मनुष्य बुद्धि हीन होता है यह एक मूर्ख कहावत पुराने ममय में कोई लम्बा मनष्य मूर्ख बद्धि हीन होगा उसे देख कर यह अनुमान कर लिया, लम्बे मनुष्य मूर्ख होते हैं।
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