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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६ ज्योतिष चमत्कार समीक्षायाः ॥ समीक्षा-हमने तो श्राप को यह मूर्ख कहावत किसी मूर्ख के जवानी कहीं नहीं सुनी। हां आज एक बीए की लिखी हुई पुस्तक में यह विचित्र कहावत लिखी देखी, जोशी जी लघण्ट की ज्योतिष से तो यह वात आपन नहीं लिखी है क्या ? ॥ ____ पृष्ठ १२८ का ख उगन पूर्व हो चुका है १२९ पृष्ठ में निरर्थक वाते हैं । ज्यो. च. पृ. १३० हिन्दुस्तान में सन् १८९८ में ८ ग्रह एक राशि में इकट्ठे हुए भार ज्योतिषियों ने कहा प्रलय हागा ___ समीक्षा-कोई ज्योतिषी इस प्रकार की वेहूदा वात नहीं कहेगा । सष्टि तथा प्रलय की ठीक २ ग गाना न्याय व्याकरण से नहीं किन्तु ज्योतिष ही से होती है। तिथिपत्रों के पहिले पृष्ठ में “ सष्टितो गताब्दाः " तथा " शेषाब्दाः" इत्यादि लिखा रहता है। प्रलय कब होगा, इस बात को सूर्यद्धिान्त का पहिला अध्याय पढ़ने वाले ज्योतिष के विद्यार्थी भी भली भांति जानते हैं । युगानांसप्ततिःसैका मन्वन्तरमिहोच्यते । कृताब्दसंख्यातस्यान्ते सन्धिःप्रोक्तोजलप्लवः ॥ स० सि० १ । १८ भाषा-इकहत्तर ७१ चतुर्यगी का एक मन्वन्तर होता है उस में कृत युगके प्रमाणा १७२८००० सत्रह लाख अट्ठाईस हजार वर्षों तक जलप्लव (छोटा प्रलय होता है) किसी भांग पीने वाले मनुष्य ने ८ सन् में प्रलय का होना बताया होगा पञ्चांग के पहिले पृष्ठ की भी ख़बर होती तो क्यों ऐसी बात कहता ॥ ( ज्यो० च० पृ० १३१)-किसी की कुण्डली लामो हम यह सिद्ध कर देंगे कि यह धनवान है और यह भी सिद्ध कर देंगे कि महा दरिद्र है वही अल्पायु होगा वही दीर्घायु समीक्षा-क्यों नहीं यह आप की बुद्धि का चमत्कार है। महाशय जी अहेलिभिः पञ्चभिरुचकर्म है नरो भवेत्रोचकुच For Private And Personal Use Only
SR No.020489
Book TitleMurtimandan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabdhivijay
PublisherGeneral Book Depo
Publication Year
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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