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मीराबाई सदाचार और नैतिक आदशों की उच्चतम सीढ़ी पर पहुंचे बिना उच्चतम कोटि की भक्ति प्राप्त ही नहीं हो सकती । मीराँ ने दोनों ही प्राप्त कर लिया था । उनका आचरण और चरित्र ठीक उसी प्रकार आदर्श और अद्वितीय था जिस प्रकार उनकी भक्ति । नाभादास, व्यास और ध्रुवदास ने मीराँ की भक्ति-भावना की प्रशंसा के साथ ही साथ उनके चरित्र की पवित्रता ओर निर्मलता का भी उल्लेख किया है । मीराँ केवल भक्त ही न थीं वे कवि थी, गायिका थीं, और सबसे बढ़कर एक शुद्ध, सरल और पवित्र हृदया मानवी थी।
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