________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie // 43 // पराबालाभैरवीतिस्वस्वमंत्रैः॥ ह्रींपरायैनमः // ऐक्लींसौम्बालायैनमः // हसैंहक्लींहसौभैरव्यैनमइति // सटीक आकर्षिणीमुद्रालक्षणं यथा // मध्यमातर्जनीभ्यांतुकनिष्ठानामिकेसमे // अंकुशाकाररूपाभ्यांमध्यमे परमेश्वरि // इयमाकर्षिणीमुद्रात्रैलोक्याकर्षणेक्षमेति // 71 // 72 // 73 // 74 // सात्विकध्यानमाह // मात०५ परावालाभैरवीतिपूजनीयास्त्रिकोणकेसप्तमावृत्तिपूजायांमुद्रांकुर्याच्चकर्षिणीम्॥७१॥इत्थंसंपूज्यतारे शीमनोभीष्टमवाप्नुयात्।।गणेशक्षेत्रपालाभ्यांयोगिन्यैभैरवायच॥७२॥तारायैचापिवितरेद्धलिंनित्यंचतु प्पथे // मांसमाषानशाकाज्यपायसापूपकादिकम्॥७३॥बलिद्रव्यसमाख्यातंतेनेष्टंसाप्रयच्छति।तस्य ध्यानंत्रिधावच्मिसत्वांदिगुणभेदतः // 74 // श्वेतांबराब्यांहंसस्थांमुक्ताभरणभूषिताम्।।चतुर्वक्रामष्ट भुजैर्दधानांकुंडिकांबुजे।।७५ ॥वराभयेपाशशक्तीअक्षत्रपुष्पमालिके // शब्दपाथानिधौध्यायेत्सृष्टि ध्यानमुदीरितम्॥७६॥रक्तांवरांरक्तसिंहासनस्थांहेमभूषिताम् ॥एकवनांवेदसंख्यैर्भुजैःसंविभ्रतीक्रमात // 77 // अक्षमालांपानपात्रमभयंवरमुत्तमम्॥श्वेतद्वीपस्थितांध्यायत्स्थितिध्यानमिदंस्मृतम् // 78 // // 43 // श्वेतेति // कमंडलुवराक्षम्रपुष्पमालादक्षेषु // इतराणिवामेषु // 75 // 76 ॥राजसध्यानमाह // रक्तेति // अक्षमालावरौदक्षयोः // अन्ययोरन्ये // 77 // 78 // For Private and Personal Use Only