________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir antonLOLLOLL तामसंध्यानमाह // कृष्णेति॥ परशुदर्वीखड्गमुशलकीशूलवज्रपाशगदादक्षेषु॥शेषाणिवामेषु // 79 // 80 // कृष्णांबराठ्यांनौसंस्थामस्थ्याभरणभूषिताम् // नववक्रांभुजैरष्टादशभिर्दधतींवरम् // 79 // अभयं परशुंद:खड्गपाशुपतंहलम् // भिडिंशुलंचमुसलंक शक्तिंत्रिशीर्षकम् // 80 // संहारास्त्रं वज्रपाशौखट्रांगंगदयासह // रक्तांभोधौस्थितांध्यायेत्संहारध्यानमीदृशम् // 81 // कर्मसुक्कू रसौम्येषुध्यायेन्मंत्रीयथातथा।एवंसिद्धेमनौमंत्रीगिरावाचस्पतिर्भवेत् // 82 // दूर्वोत्थयातुलेखन्यारो चनारसयुक्तया // बालस्याच्छिन्ननालस्यजिह्वायांविलिखेन्मनुम् // ८३॥संप्राप्तेचाष्टमेवर्षेसर्वशास्त्रज्ञ तामियात् // अयुतंमंत्रसंजप्तांवचांबालस्यकंठतः॥ 8 ॥वनीयात्पूर्वसंप्रोक्तंवलिंदत्वाविधानतः॥ द्वादशेवत्सरेप्राप्तेभक्षितासाकवित्वकृत् // 85 ॥ज्योतिष्मतीभवतैलंकर्षमात्रंसुमंत्रितम् // उपरागे जलस्थोयोऽश्नीयाद्वाचस्पतिर्भवेत् // 86 // चतुष्पथेश्मशानेवाहित्वालजाभयंतथा // जपे च्छवंसमारुह्यविद्यातत्परमानसः // 87 // शृणोत्यसावमुंशब्दंनिशीथेजपतत्परः // पारगोभव विद्यानांसीसिद्धिमवाप्नुहि // 88 // ॥८॥क्रूरेषुमारणे॥तामसध्यानम्॥उच्चाटनवश्यादौरक्त॥शांतीपुष्टौश्वेतम्॥८२॥८३॥८४॥८५॥८६॥८७॥८८॥ WA C ASTLabe For Private and Personal Use Only