________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सटीक मं०म० // 44 // त०६ // 89 // उभावपिशिशूनैयायिकवेदांतिनीभूत्वाविवादंकुति // 90 // 91 // 92 // 93 // निर्वा सानमः॥विशिखोमुक्तकेशः॥ कृष्णभूताहे // कृष्णपक्षचतुर्दश्याम् // 94 // 95 // इति श्रीमंत्रमहोदधि विद्वत्कुलसमुद्भूतमष्टवर्षशिशुद्धयम्॥ उपवेश्यतयोर्मूर्षिकरौदत्वाजपेन्मनुम् // 89 // वेदांतन्यायसं युक्त्याविवदेतेउभावपि // यःकौतुकीसआश्चर्यविद्याया पश्यतुध्रुवम्॥९०॥विधायवेदिकांरम्यांविजने कदलीवने।।तत्रासीनोजपेद्विद्यामर्कलसंविधानतः॥९१॥दासीचालितदोलायामारूढांसुस्मिताननाम्॥ पुन्नागचंपकाशोकरंभाविपिनसंस्थिताम् // 92 // एवंध्यायन्भगवतींवलिंदद्याजपांततः // एवंकुर्व नरःसर्वमभीष्टलभतेचिरात् // 93 // निर्वासाविशिख-प्रेतभूमिस्थोयोजपेन्मनुम् // अयुतंकृष्णभूताहे सवाक्सिद्धिमवाप्नुयात् // 94 // विद्यांसौख्यंधनंपुष्टिमायुःकीर्तिवलंस्त्रियः॥ रूपंकामयमानेनतारासे व्यानिरंतरम् // 95 // इति श्रीमन्मंत्रमहोदधौतारामंत्रभेदकथनंनामपंचमस्तरंगः // 5 // छिन्नम स्तामनुंवक्ष्येशीघ्रसिद्धिविधायिनम् // पद्मासनाशिवायुग्मभौतिक शशिशेखरः॥१॥ नौकायांताराभेदोनामपंचमस्तरंगः॥५॥॥ छिन्नमस्तामंत्रमाह // पझेतिपद्मासनाश्रीं // शिवाह्रीं ॥भौ तिकऐंसबिंदुः॥ पद्मनाभयुतःसदागतिःएयुतोयः॥ यथा॥ॐश्रींहींहींऐवजवैरोचनीयेहींहींफट्स्वाहेति // 1 // // 44 // For Private and Personal Use Only