________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धात्रीआमलकी // तुलस्यादीनांपत्रैरपिपूजा // जम्बादीनांपत्रैरपिफलैश्च // रसालः आम्रः॥९५ // 96 // // 97 // दिक्पहेत्यंतमितिदिक्पालायुधपर्यंतमावरणपूजा // इदंसांप्रदायिकम् // क्वचिदंगपूजांतःप्राग पिवजादूर्ध्वमप्यावरणानिसंति // अंगपूजास्थानमाह / / अग्नीति // 98 // अंगदेवताध्यानमाह / वामलो धात्रीयुतानामेतेषांपत्रैःकुर्यात्सुरार्चनम् // जंबूदाडिमजंबीरतितिणीवीजपूरकाः // 95 // रंभाधा त्रीबदरीरसाल पनसोपिच // एपांफलैर्यजेद्देवंतुलसीतुहरे प्रिया // 96 // सुवर्णपुष्पंतुलसीनैवनि माल्यतांब्रजेत् // पुष्पपूजांविधायेत्थंकु-दावरणार्चनम् // 97 // अंगादिदिक्पहेत्यंतंततोधूपादिकं चरेत् // अगिनैर्ऋतिवाय्वीशकोणेषुहृदयंशिरः॥ 98 // शिखांकवचमाराध्यनेत्रमग्रेप्रपूजयेत् // दिश्वस्त्रमंगदेव्यस्ताध्यातव्यावामलोचनाः // 99 // सिताश्वेतासितास्तिस्रोरक्ताइष्टाभयान्विताः // स्वदिक्षुप्रयजेदिक्पा जातिहेत्यादिसंयुतान् // 10 // चनाःस्त्रीरूपाः॥९९॥ तिस्राकवचनेत्रास्त्ररूपाः रक्ताइष्टाभयान्वितावराभययुताः। स्वदिक्षुप्रसिद्धासु दिक्पा लानिंद्रादीन् / जातिहेत्यादिसंयुतान्॥जातयःसुरादयः हेतयोवज्रादयः॥आदिशब्दाद्वाहनशक्ती // 10 // 1 फलपूरोवीजपूरोरुचकोमातुलिंगकेइत्यमरःप्रचोदनीकलीक्षुद्रादुःस्पर्शाराष्ट्रिकेत्यपीत्यमरः // For Private and Personal Use Only