________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | सटीक त०२२ मं०म० शक्तौदूर्वादयोनिषिद्धाः॥ महालक्ष्म्यास्तुदूर्वाप्रशस्ता // मालरंबिल्वम् // तगरंगंधतगरम् // तगरइतिका न्यकुब्जभाषायाम् // जातुकदाचिदपि // 88 // निषिद्धान्याह // निर्गधमिति॥८९॥तुच्छसंस्पृष्टंशरीरलग्नम्॥ ॥२०६॥स्वविकासितंबलादात्मनाविकासितम् // 90 // पर्युषितंदिनांतरानीतम् // सुमंपुष्पम् // चंपककमलयोः शक्तौदूर्वार्कमंदारान्मालूरंतगरंरवौ // विनायकेतुतुलसींनार्पयेजातुचिबुधः // 88 // श्वेतंपीतंहरेरिष्टं रक्तरविगणेशयोः // निर्गधकेशकीटादिदूषितंचोग्रगंधकम् // 89 // मलिनंतुच्छसंस्पृष्टमाघातस्व विकासितम् // अशुद्धभाजनानीतंत्रात्वानीतंचयाचितम् // 90 // शुष्कंपर्युषितंकृष्णंभूमिगनार्पयेत्सु मम्॥चंपकंकमलं त्यक्त्वाकलिकामपिवर्जयेत्॥९॥ॉरंटकंकांचनारंवर्जयेद्वृहतीयुगम्॥पुष्पंपत्रफलं देवेनप्रदद्यादधोमुखम्॥९२॥पुष्पांजलौनतद्दोषस्तथापय्युषितस्यच // तुलसीवकुलोवृक्षश्चपकश्चसरो जिनी॥९३॥विल्वंकल्हारदमनास्तथामरुवक कुशः।।दूर्वाहिवल्ल्यपामार्गविष्णुकांतामुनिद्रुमाः॥९॥ कलिकाअपिप्रशस्ताः // 91 // पुष्पपत्रफलान्यधोमुखानिनार्पयेद्यथोत्पन्नतथैवार्पयदित्यर्थः // 92 // पुष्पांजली अधोमुखपर्युषितयोर्नदोषः॥ 93 / / अहिवल्लीनागवल्ली // मुनिद्रुमोऽगस्त्यः // 94 // 1 तत्रपीतेकुरंटकइत्यमरः // 2 बिल्वेशांडिल्यशैलूधौमालूरःश्रीफलावषीत्यमरः // RSE For Private and Personal Use Only