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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नमः इतिशिरवप्रोक्ष्म सिंदाया // पोलमपशत // अच्युताशइति हरयक सटीक मं०म० दामोदरायनमःइतिशिरश्चप्रोक्ष्य // संकर्षणायनमइतिमुखम् // वासुदेवायनमः // प्रद्युम्नायनमइतिनासे चांगुष्ठप्रदेशिनीभ्यां स्पृष्ट्वा // अनिरुद्धाय० // पुरुषोत्तमाय इत्यक्षिणी // 51 // 52 // अधो ॥१९॥क्षजाय० // नृसिंहाय० // इतिकर्णीचांगुष्ठानामिकाभ्यांस्पृशेत् // अच्युताय इतिअंगुष्ठकनिष्ठाभ्यां नाभिम् // 53 // 54 // 55 // जनार्दनाय इतिकरतलेनहृदयम् / / उपेंद्राय इतिशिरः // हरये कृष्णायक दामोदरेणमूर्द्धानंप्रोक्ष्यसंकर्षणादिकान् // मुखादिषुकरांगुल्यावेदादिप्रीणनेन्यसेत् / / 53 // मुखेसंक पणवासुदेवप्रद्युम्नकौनप्तोः॥ अनिरुद्धंचपुरुषोत्तममक्ष्णोः प्रविन्यसेत् // 52 // अधोक्षनंनृसिंहंचकर्ण यो भितोच्युतम्॥जनार्दनंदिन्यस्येदुपेंद्रमपिमूर्धनि॥५३॥अंसयोश्चहरिविष्णुवैणवाचमनंत्विदम्॥ केशवायश्चतुर्युतानमोंताःप्रणवादिकाः।।५४||आस्येनसोःप्रदेशिन्याऽनाण्यानेत्रकर्णयोः।कनिष्ठयाना भिदेशेगुष्ठःसर्वत्रसंयुतः।।५५॥तलेनहृदयेन्यस्येत्सर्वाभिमस्तकेंसयोः॥आत्मविद्याशिवैस्तत्वैःस्वाहा | न्तैःप्रापिवेदपः५६हांहींहूमादिमैःशैवेशाक्तेवाग्वीजपूर्वकैः।क्षालनादिकमंगुल्यास्पपेिस्यादमंत्रक:५७॥ Bइत्यंसौचसर्वाभिःस्पृशेदितिवैष्णवाचमनम् // शैवाचमनमाह // आत्मेति // हांआत्मतत्वायस्वाहा // हीविद्यातत्वायस्वाहा // हूंशिवतत्वायस्वाहेति // त्रिर्जलंपीत्वा // करक्षालनाद्यंसंस्पर्शातंउक्तांगुली भिस्तूष्णीमेवकुर्यात् / / इतिशवम् / शाक्ततुहामादिस्थानेवाग्बीजमेव // 56 // 57 // 193 // For Private and Personal Use Only
SR No.020473
Book TitleMantra Mahodadhi Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages545
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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