________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir LOROLOU.LastanROLOnia सामान्याय॑माह // तारमिति // तारॐ // खंहः // वह्रिविसर्गाढयरेफसर्गयुतंहः॥ निगमादिनाप्रणवेन // // 58 // 59 // यथा // हद्वाराय॑साधयामीत्युक्त्वाफडितिपात्रप्रक्षाल्यनमइतिजलेनापूर्यगंगेचतितीर्था न्यावाह्यप्रणवेनगंधपुष्पेनिक्षिप्यधेनुमुद्रांप्रदाष्टकृत्वोमूलेनमंत्रयेदिति सामान्यार्थ्यविधेिः // तेनार्घ्य जलेनोक्ताप्रथमतरंगोक्ताद्वारदेवतागणेशमहालक्ष्मीसरस्वतीविघ्नक्षेत्रपालगंगायमुनाधातृविधातृशंखपद्म एवमाचम्यसामान्यार्पणद्वारंप्रपूजयेत् // तारखंवह्निसर्गाज्यं द्वारायंसाधयामिच // 58 // उक्त्वात्रम नुनापात्रंक्षालये पूरयेद्दा // तीर्थान्यावाह्यगंधादीनिक्षिपन्निगमादिना // 29 // धेनु मुद्रांदयित्वामूले नाप्यभिमंत्रयेत् // सामान्यायविधिःप्रोक्तस्तेनोक्ताद्वारदेवताः॥३०॥इष्ट्वार्चेद्वारपालांश्चतेकथ्यतेपृथ ग्विधाः // नंदःसुनंदचंडश्वप्रचंडोवलसंज्ञकः॥६॥प्रबलोभद्रसंज्ञश्चनुभद्रावैष्णवामताः।नंदिसंज्ञोमहा कालोगणेशोवृषभस्तथा ॥६२॥,गिरिट्यभिधःस्कंदपार्वतीशाभिधोपरः // चंडेश्वरइमेशैवाशालेया | मातर स्मृताः॥६३॥ वक्रतुंडश्चैकदंष्टोमहोदरगजाननौ / लंबोदरश्चविकटोविनराजश्वततमः॥६४॥ निधिलक्षणायथास्थानं संपूज्यवक्ष्यमाणान्यथास्वंद्वारपालान्पूजयेत् // 60 // वैष्णवान्द्वारपालानाह // नंदइति // 61 // शैवानाह // नंदिसंज्ञइति // ब्राह्माद्यामातरःशक्तेद्वारपालाः // 62 // 63 // गणेशानाह // वक्रतुंडइति // 64 // For Private and Personal Use Only