________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संहारमुद्रयातीर्थविसृज्यद्वौहस्तौविमुखौसंयोज्यतयोरंगुलीःपरस्परसंश्लिष्टा कृत्वाहस्तौसंमुखौकुर्यादिति संहारमुद्रा // 46 // 47 // सत्यग्निहोत्रेआवसथ्येचतयोहोममुपस्थानंचकृत्वादेवपूजागृहमागत्यवैष्ण वाचमनंकुर्यात् // 48 // तदेवाह॥केशवेति // ॐकेशवायनमः॥ नारायणायनमः // माधवायनमः॥इतित्रि अष्टाविंशतिवारंवातर्पयेत्तावदंभसि // दत्त्वादिननाथायतीर्थसंहारमुद्रया // 46 // विसृज्यालोक पालानत्वादेवस्तुतिपठन्॥यागस्थानंतथागत्यप्रक्षाल्यांत्रीतथाचमेत् // 47 // गार्हपत्यादिकाननीन् हुत्वोपस्थायतानपि // देवतागारमागत्यसमाचामेद्यथाविधि // 48 // केशवनारायणमाधवैःपीत्वाज लंत्रिधा // करौगोविंदविष्णुभ्यांक्षालयेन्मधुसूदनः॥४९॥त्रिविक्रमाभ्यामोष्टौवामनःश्रीधरतोमुखम् / / हृषीकेशेनहस्तंचचरणोपद्मनाभतः॥५०॥ जलंपीत्वा // गोविंदायनमः॥ विष्णवेनमइतिद्वाभ्यांकरौप्रक्षाल्य // मधुसूदनायनमः // त्रिविक्रमायनम इतिद्विरोष्ठौप्रक्षाल्य // वामनायनमः श्रीधरायनमः इतिमुखम् // हृषीकेशायनमः इतिदक्षहस्तंप्रक्षाल्य // पद्मनाभायनमइतिपादौ॥४९॥५०॥ For Private and Personal Use Only