________________ Shri Mahavain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie Salu 184 / / 185 // कुसुमंपुष्पम् // 186 // दशधाव्यस्तनविभक्तेन // 187 // तमेवविभागमाह // पूर्वेति // बी जषटकं|बाणा:पंचवर्णाः॥सायका-पंचैव / मुनयःसप्त // मार्गणा:पंच // गणेशमंत्रमाह ॥तारइति।तारओं॥ एकैकामाहुतिंकुर्याद्वन्हेजिह्वांगमूर्तिभिः // इंद्रादिभिश्चवज्राद्यैठिांतैर्जुहुयात्ततः // 184 // वेणाज्यं चतुरंनिधायनुचितांसुधीः॥ अपिधाय वेणैतौगृह्णीयात्करयुग्मतः // 85 // तिष्ठन्मूलंतयो भौ कृत्वाग्रेकुसुमंक्षिपेत् // वामस्तनांतंतन्मूलंकृत्वाग्निमनुनासुधीः // 86 // जुहुयाद्वौपडतेनसंपत्त्यर्थ मतंद्रितः॥ महागणेशमंत्रेणव्यस्तेनदशधाततः॥८७॥ जुहुयाच्चसमस्तेनचतुर्वारंघृताहुतीः // पूर्व पूर्वयुतंबीजपटकंवाणाश्चसायकाः॥८८॥मुनयोमार्गणाश्चेतिविभागस्तन्मनोःस्मृतः॥ तारोलक्ष्मीगिरि सुताकामोभूर्गणनायकः // 89 // चतुर्थ्यतोगणपतिर्वरांतेवरदेतिच // सौतेजनमित्युक्त्वामेवशान्ते तुमानय।।१९०॥स्वाहांतोवसुयुग्मानॊमहागणपतेर्मनुः। एवंकृत्वाग्निसंस्कारंपीठंदेवस्यपूजयेत् 191 // लक्ष्मीःश्रीं।गिरिसुताहीं॥कामक्तीं।भू ग्लौं।गणनायक गं॥इतिबीजषटकं // गणपतयेवरवरदसर्वजनमेवश मानयस्वाहेतिविभागाः पूर्वयुता कार्याः॥ ओं ओंश्रीं // ओंश्रींहीमित्यादि // 188 // 189 // 190 // 191 // १जिहेतिस्वदेवतानामप्युपलक्षणं // 2 ॐ श्रींहीक्लींग्लौंगंगणपतयेवरवरदसर्वजनंमेवशमानयस्वाहा // प्रयोगस्तु // स्वाहा // श्रीस्वाहा // ॐश्रीह्रीस्वाहेत्यादि / For Private and Personal Use Only