________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir में०म० सटीक // 16 // त०१८ हेमरेतसिवहौ॥४७॥४८॥४९॥५०॥५१॥ सबिंद्विति // अनंनंदजायैनमइत्यादि॥ वक्ष्यमाणाद्याः॥ एवंध्यात्वाजपेल्लक्षचतुष्कंतदशांशतः॥ पायसान्नेनजुहुयात्पूजितेहेमरेतसि // 47 // जयादिशक्ति भियुक्तपीठेदेवीयजेत्ततः // तत्त्वपत्रावृतव्यस्रषट्कोणाष्टदलान्विते // 18 // त्रिकोणमध्येसंपूज्य ध्यात्वातांमूलमंत्रतः॥ पूर्वकोणेविधातारंसुरयासहपूजयेत् // 49 // विष्णुंश्रियाचनैर्ऋत्येवायव्येतूम याशिवम्।।उदग्दक्षिणयोःसिंहंमहिपंचक्रमाद्यजेत्॥१०॥षट्सुकोणेषुपूर्वादिनंदजारक्तदंतिकाम्॥शाकं भरीतथादुर्गाभीमांचभ्रामरीयजेत् // 51 // सबिंदुनादाद्यांद्यास्तारायाश्चनमाोंतकाः॥ नंदजाया यजेच्छतर्विक्ष्यमाणाअपीहशीः // 52 // अष्टपत्रेषुब्रह्माणीपूज्यामाहेश्वरीपरा // कौमारीवैष्णवीचा थवाराहीनारसिंह्यपि // 53 // पश्चादैन्द्रीचचामुंडातथातत्वदलेष्विमाः॥ विष्णुमायाचेतनाचबुद्धि निद्राक्षुधाततः॥५४॥ छायाशक्तिःपरातृष्णाक्षांतिर्जातिश्चलज्जया // शांतिःश्रद्धाकांतिलक्ष्म्य्यौधृ | तिर्वृत्तिःश्रुतिःस्मृतिः॥१५॥ अपीहशीःसबिंदुनादाद्यांद्यास्ताराद्यानमोतायजेत् // ॐब्रह्माण्यैनमइत्यादि // 52 // 53 // तत्वदलेषु चतुर्विंशतिपत्रेषु // विष्णुमायाद्याः // 54 // 55 // // 167 // For Private and Personal Use Only