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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महाकालीध्यानमाह // खड्गमिति // खगचक्रबाणशिरःशंखान्दक्षेषुदधतीम् / / इतराणिवामेषु // आस्यपा ददशकांदशवक्त्रां दशपादांदशभुजांत्रिंशनेवामित्यर्थः // हरौसुप्तेकमलासनोब्रह्मामधुकैटभौहंतुंयाम स्तोत् तुष्टाव / हरेनिंद्रावैष्णवीमायेत्यर्थः। तदुक्तम् // ययात्वयाजगत्स्रष्टाजगत्पातातियोजगत् // सोपि निद्रावशंनीतइति // 44 // महालक्ष्मीध्यानमाह // अक्षस्रगिति / / कुंडिकांकमंडलुम् // जलजंशंखम् // अक्ष खड्गचक्रगदेषुचापपरिघानशूलंभुशुंडीशिरः शंखंसंदधतींकरैस्त्रिनयनांसर्वांगभूषावृताम् // यामस्तो स्वपितेहरौकमलजोहंतुंमधुकैटभं नीलामद्युतिमास्यपाददशकांसेवेमहाकालिकाम् // 44 // अक्षत्र परशूगदेषुकुलिशंप धनुःकुंडिकांदंडशक्तिमसिंचचर्मजलजंटांसुराभाजनम् ॥शूलंपाशसुदूर्शनेच दधतीहस्तैःप्रवालप्रभांसेवेसरिभमर्दिनीमिहमहालक्ष्मीसरोजस्थिताम् // 45 // घंटाशूलहलानिशंख मुसलेचक्रधनुःसायकंहस्ताब्जैर्दधतींपनांतविलसच्छीतांशुतुल्यप्रभाम् ॥गौरीदेहसमुद्भवांत्रिजगतामा धारभूतांमहापूर्वमत्रसरस्वतीमनुभजेच्छंभादिदैत्यादिनीम् // 46 // मालापद्मबाणखड्गवजगदाचक्रकमंडलुशंखादक्षेषु / अन्येवामेषु // सैरिभमदिनीमहिषासुरघातिनी॥ सरो जोद्भवांदेवदेहनिर्गततेजःसमुद्भवाम् / / 45 // महासरस्वतीध्यानमाह // घंटेति // शंखमुशलचक्रबाणादक्षे षु ॥घंटाशूलहलधनुषिवामेषु // धनांतति // शरच्चंद्रसमप्रभाम् // 46 // For Private and Personal Use Only
SR No.020473
Book TitleMantra Mahodadhi Granth
Original Sutra AuthorN/A
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Publisher
Publication Year
Total Pages545
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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