________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir // 56 // 57 // 58 // अग्नितिथिंप्रतिपदम् // 59 // 60 // चंडीस्तवस्यमार्कंडेयपुराणोक्तस्यऋष्यादीनाह॥ तुष्टिःपुष्टिर्दयामाताभ्रांतिःशक्तिरितिक्रमात् // बहिभूगृहकोणेषुगणेश क्षेत्रपालकः // 56 // बटुकश्चापियोगिन्यःपूज्याइंद्रादिकाअपि // एवंसिद्धमनौमंत्रीभवेत्सौभाग्यभाजनम् // 67 // मार्क ण्डेयपुराणोक्तनित्यंचंडीस्तवंपठन्॥पुटितंमूलमंत्रेणजपन्नाप्नोतिवांछितम्॥५९॥ आश्विनस्यसितेप क्षेआरभ्याग्मितिथिसुधीः // अष्टम्यंतंजपेल्लशंदशांशहोममाचरेत् // 59 // प्रत्यहंपूजयेदेवींपठेत्सप्त शतीमपि // विप्रानाराध्यमंत्रीस्वमिष्टार्थलभतेऽचिरात् // 60 // सप्तशत्याश्चरित्रेतुप्रथमेपद्मभूर्मुनिः॥ छंदोगायत्रमुदितमहाकालीतुदेवता // 61 // वाग्बीजंपावकस्तत्वधर्मार्थेविनियोजनम् // मध्यमेतुच रित्रेऽत्रमुनिर्विष्णुरुदाहृतः // 62 // उष्णिक्छंदोमहालक्ष्मीदेवताबीजमद्रिजा // वायुस्तत्वं धनप्राप्त्यविनियोगउदाहृतः॥६३॥ सप्तशत्याइति // प्रथमंचरित्रंमधुकैटभवधः॥ 61 // मध्यमं महिषासुरवधः / / 62 // अद्रिजाह्रीं // 63 // 1 अस्यश्रीप्रथमचरित्रस्यब्रह्माऋषिःगायत्रीच्छंदःमहाकालीदेवताऐंबीजमग्निस्तत्त्वंधर्मार्थेजपेवि० // 2 भस्यश्रीमध्यमचरित्रस्यविष्णुक्रषि उष्णिकुछंदामहालक्ष्मीदेवताहींबीजवायुस्तत्वंधनप्रायजपेवि०॥ For Private and Personal Use Only