________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Ga. त०१७ मं०म०ायंत्रमाह // दिक्पत्रमिति // दशदलंविलिख्यकर्णिकार्यास्वबीजमदन श्रुत्यादिवाचालिखेत् // स्वबी जंफ्रों // मदनालीं // श्रुत्यादिॐ // वाऐं // स्वबीजानिवागंतर्लिखेत् // वर्मातानिप्रणवादीनिद ॥१५॥alशबीजानिदलेषुयस्यतत्तथाशेषाःफटकार्तवीर्यार्जुनायनमइतिदशपत्रांतरेषुयस्यतत् // ऊष्माणःशष सहास्तैराट्या स्वरा केसरेषुयस्यतत्॥ प्रतिकेसरंद्वौद्वौ॥शेषैःकादिभिरूष्महीनैवेष्टितम् ॥स्वकोणेषुल्लसंतो कार्तवीर्यार्जुनस्याथपूजार्थमंत्रमुच्यते // 21 // दिक्पत्रंविलिखेत्स्वबीजमदनश्रुत्यादिवाक्क णिकंवर्मातप्रणवादिवीजदशकंशेषाणपत्रांतरम् // उष्मादयस्वरकेसरंपरिवृतशेषैःस्वकोणोल्लसद्भूतार्ण क्षितिमंदिरावृतमिदंयंत्रंधराधीशितुः // 22 // भूतार्णाः पंचभूतवर्णाःयत्रतादृशंयतक्षितिमंदिरंचतुष्कोणं तेनावृतम् // तृतीयवर्गगाःकर्णवोललाः॥ कर्णीऊऊ ॥ॐललापार्थिवामताइत्यादि।भूतानांवर्णास्त्रयोविंशेतरंगेवक्ष्यते // तत्रस्तंभनेभूतवर्णालेख्याः॥ शांतावाद्या वश्यतेजसाः॥ उच्चाटनेवायवीयाः॥ विद्वेषणेतामसाः॥ मारणेपितैजसा जलस्यमंडलंप्रोक्तं प्रशस्तंशांतिकर्मणिइत्यादिवक्ष्यमाणत्वात् // इदंधराधीशितुःकार्तवीर्यस्ययंत्रम् // 21 // 22 // 1 कर्णिकांतलिखेदित्यर्थः // 100gessesJUSDISABJOSSONSION // 15 // For Private and Personal Use Only