________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie INGI ध्यानमाह // उद्यदिति // अखिलक्षोणीधवैःसर्वपार्थिवैनतः॥ तावताहस्तशतपंचकेनेषून बाणान्दधत् // हाटकमालयास्वर्णस्रजास्यंदनगोरथस्थितः // 12 // 13 // 14 // 15 // 16 // दिक्षुचोरमदविभंजनादी उद्यत्सूर्यसहस्रकांतिरखिलक्षोणीधर्वदितोहस्तानांशतपंचकेनचधच्चापानिपूंस्तावता // कंठेहाटक मालयापरिवृतश्चक्रावतारोहरे पायात्स्यंदनगोरुणाभवसनःश्रीकार्तवीय्योनृपः // 12 // लक्षमे कंजपेन्मंत्रंदशांशंजुहुयात्तिलैः // सतंदुलैःपायसेनविष्णुपीठेयजेत्तुतम् // 13 // वक्ष्यमाणेदशदले वृत्तभूपुरसंयुते / / संपूज्यवैष्णवी शक्तीस्तत्रावाह्यार्चयेन्नृपम् // 14 // मध्येग्नीशासुरमरुत्कोणेषुहृदया दिकान् // चतुरंगचसंपूज्यसर्वतोत्रंततोयजेत् // 15 // खगचर्मधराध्येयाश्चंद्राभाअंगमूर्तयः // पट्काणषुषडगानिततादिक्षुावादक्षुच।।१६चारमदावभजनमारामदावभजनम्॥आरमदावभजनदत्य मदविभंजनम्॥१७॥दुःखनाशंदुष्टनाशंदुरितामयनाशकौ // दिक्ष्वष्टशक्तयःपूज्या प्राच्यादिषुसितप्र भाः॥ 18 // क्षेमंकरीवश्यकरीश्रीकरीचयशस्करी।।आयुष्करीतथाप्रज्ञाकरीविद्याकरीपुनः॥१९॥ धनकर्यष्टमीपश्चाल्लोकेशाअस्त्रसंयुताः // एवंसंसाधितोमंत्र प्रयोगार्हःप्रजायते // 20 // BaJश्चतुरः॥विदिक्षुद्रुष्टनाशादीन् // दुरितामयनाशकौ // दुरितनाशकोरोगनाशकश्च // 17 // 18 // 19 // 20 // For Private and Personal Use Only