________________ Acharya Shri Kallassagarsuri Gyarmande www.kobatirth.org Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अभिषेकमाह॥शुद्धेति|अष्टगंधैः॥चंदनागुरुवालककुष्टकुंकुमकर्पूररोचनाजटामांसीभिः॥ तत्रतत्रकंभे // // 23 // 24 // स्वजनरंजनजनवश्यताम् // 25 // सुदृशोनारीपुटभेदनेनगरे // 26 // अरिष्टानिफेनिलफला श्रुद्धभूमावष्टगंधैलिखित्वायंत्रमादरात्॥तत्रकुंभंप्रतिष्ठाप्यतत्रावाह्यार्चयेन्नृपम् ॥२३॥स्पृष्ट्वाकुंभंजपेन्म सहस्रविजितेंद्रियः।अभिषिचेत्तदंभोभिप्रियंसर्वेष्टसिद्धये // 24 // पुत्रान्यशोरोगनाशमायुःस्वजनरं जनम्॥वासिद्धिंसुदृशःकुंभाभिषिक्तोलभतेनरः॥ 25 // शत्रूपद्रवमापन्नेमामेवापुटभेदने // संस्था पयेदिदंयंत्रमरिभीतिनिवृत्तये // 26 // // सर्षपारिष्टलशुनकासैार्यतेरिपुः // धत्तूरैःस्तभ्यते निबैद्देष्यतेवश्यतेऽबुजैः // 27 // उच्चायतेविभीतस्यसमिद्भिःखदिरस्यच॥ कटुतैलमहिष्याज्यहोमद्र व्यांजनंस्मृतम् // 28 // यवै तैःश्रियःप्राप्तिस्तिलैराज्यैरघक्षयः॥ तिलतंदुलसिद्धार्थलाजैश्योनृपोभ वेत् // 29 // अपामार्गार्कदूर्वाणांहोमोलक्ष्मीप्रदोऽधनुत् ॥स्त्रीवश्यकृत्प्रियंगूणांपुराणांभूतशांतिदः // 30 // अश्वत्थोदुंबरप्लक्षवटविल्वसमुद्भवाः // समिधोलभतेहुत्वापुत्रानायुर्धनंसुखम् // 31 // नि // पद्मवश्यतेवशीक्रियतेहुतैरितिसर्वत्रान्वयः॥ 27 // 28 // 29 // पुराणांगुग्गुलूनाम् // 30 // 31 // .photoshes For Private and Personal Use Only