________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाशम् आं|मायाहीं॥अंकुशाकों॥ पद्माश्रीं॥ वर्महुँ॥अस्त्रंफट् // कार्तवीस्वरूपम् // वाय्वासनोययुतः अनं तोयायुतोरेफः // तेनर्या // वहिजौरेफजकारौ // कर्णसंस्थितौउयुतौ // तेनर्जु // 3 // मेषोनः सदी धना / / पवनोयः॥ हृदंतिकोनमोंतोमनुः कथितः // प्रणवादिविंशत्यर्णः // 4 // ध्रुवॐ // बीजम्॥ नमः पाशोमायांकुशंपद्मावर्मानेकार्तवीपदम् // रेफोवाय्वासनोनंतोवह्निजौकर्णसंस्थितौ // 3 // मेषःसदी घःपवनोमनुरुक्तोहृदंतिकः॥ ऊनविंशतिवर्णीयतारादिर्नखवर्णकः // 4 // दत्तात्रेयोमुनिश्चास्यच्छं दोऽनुष्टुबुदाहृतम् // कार्तवीर्यार्जुनोदेवोबीजंशक्तिधुवश्चहृत् // 5 // शेषायबीजयुग्मेनहृदयविन्यसेदु धः॥ शांतियुक्तचतुर्थेनकामाव्येनशिरोंगकम् // 6 // शक्तिः॥५॥षडंगमाह // शेषेति॥शेषआ|तद्युतेनाद्यबीजद्वयेनहृत् // आकारयुतत्वादन्यस्वरनिवृत्तिः // तेन फ्रोंजी 2 हृदयायनमः॥ शांतीति // ईयुतेनचतुर्थबीजेनकामबीजाढयेनशिरः // कींधूंशिरसेस्वाहा // 6 // 1 ॐफ्रोनीलीभ्रूआहीक्रोश्रींहुंफट्कार्तवीर्यार्जुनायनमः ॥२०॥अस्यकार्तवीर्यार्जुनमंत्रस्यदत्तात्रेयऋषिःअनुष्टुप्छंदःकार्तवीर्यार्जुनोदेवता ॐबीजनमःशक्तिःममाभीष्ट०॥ For Private and Personal Use Only