________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie सटीक ते. मं०म०गंगामंत्रइवावरणपूजाकुर्यात् // तस्याएवमंत्रांतरमाह॥प्रणवइति // मातोमं // यथा // ममणिकर्णिकेप्रण वात्मिकेनमः // मनुवर्णश्चतुर्दशार्णः // अस्योपासनापंचदशावद्विधेया // मणिकर्णिकोपासकः कुदे // 148 // शेमगधादौमृतोपिब्रह्मवस्यात॥१३५॥१३६॥इतिश्रीमंत्रमहोदधिनौकायांशिवादिमंत्रकथननामषोडशस्तरं गः // 16 // // अथकार्तवीर्यार्जुनमंत्रान्वक्तुंप्रतिजानीते // अथेति // गोपितानन्यैराचार्यैःशंकराचार्य प्रणवोविंदुयुग्मांतेमण्यतेकर्णिकेप्रण // वात्मिकेहृदयमंत्रोमनुवर्णोस्यपूर्ववत् // 135 // विधेयोपास नासर्वामणिकाउपासकः॥कदेशेपिमृतोयातिब्रह्मैवामलमव्ययम् // 136 // इतिश्रीमंत्रमहोदधौ | शिवादिमंत्रकथनंनामषोडशस्तरंगः॥१६॥ ॥अथेष्टदान्मनून्वक्ष्येकार्तवीर्यस्यगोपितान् // यःसु दर्शनचक्रस्यावतार क्षितिमंडले // 1 // वह्नितारयुतारौद्रीलक्ष्मीरनीदुशांतियुक् // वेधाधरेंदुशांत्या व्योनिद्रा(शानिविदुयुक् // 2 // प्रभृतिभिरप्रकाशितान् // 1 ॥मंत्रराजमुद्धरति // वहीति // रौद्रीफः // वह्वीरेफः॥ तारॐ // ताभ्यां युता // तेनफ्रों॥ लक्ष्मी.वः // अग्नींदुशांतियुक् // रबिंदुईयुता // तेनवीं॥ वेधाः कः // धरेंदुशांत्या ढयः लबिंदुईयुतः॥ तेनक्कीं // निद्राभः॥ अशाग्निबिंदुयुक् ऊरबिंदुयुता // तेनबूं // 2 // For Private and Personal Use Only