________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie मै० म०९८॥नत्यंताः॥ अनमः तारसंपुटाः॥मित्यादि॥९९॥ १००॥१०॥१०२॥१०३॥दीपस्थानमाह / नवति। सटीक जपस्थानभूमिनवधा कृत्वा // पूर्वादिकोष्ठेषुकचटतपयशवर्गान् लक्षइत्यष्टमेविलिख्यमध्यकोष्ठमपि नवधा Baत०१ // 7 // ध्यात्वैवंविन्यसद्वर्णान्क्षाद्यानांतान्विलोमतः // सृष्टिन्यासेतुसीताःसर्गविंद्वंतिकाःस्थितौ // 98 // विद्वताःसंहतोचैषापूर्ववच्चांगपूजने // न्यस्याःसर्वत्रनत्यंतावर्णावातारसंपुटाः // 99 // सृष्टिन्यासं स्थितिन्यासंपुनःकुर्यात्प्रयत्नतः॥ अन्येतु मातृकान्यासाःकथ्याःपूजातरंगके॥ 10 // मंत्रस्नाना दिविधयोगद्यास्तत्रैवतमया। भारतीमेवमाराध्यभजेदिष्टान्मनून्सुधीः॥१॥विष्णुशिवोगणेशोकों दुर्गापंचैवदेवताः // आराध्या सिद्धिकामेनतत्तन्मत्रैर्यथोदितम् // 2 // आदौदेवंवशीकर्तुपुरश्चरणमा चरेत् // तीर्थादौनिर्जनेस्थानेभूमिग्रहणपूर्वकम् // 3 // नवधातांधरांकृत्वापूर्वादिषुसमालिखेत् // कोष्ठेषुसप्तवर्गाश्चलक्षौमध्येतथास्वरान् // 4 // क्षेत्रनामादिमोवोयत्रकोष्ठेभवेत्ततः // उपविश्यजपं कुर्यान्नान्यस्मिन्दुःखदेस्थले // 5 // विधाय तत्र पूर्वादिषुस्वरद्वंद्वक्षेत्रनामादिवर्णोयत्रकोष्ठेतदेवजपस्था सिद्धिदम् // 104 // 105 // // 7 // For Private and Personal Use Only