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________________ Shri Martin Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हृदादीनिकरपादोदरमुखेषुसंबध्यते // 12 // 93 // स्थितिन्यासेध्यानमाह / मृगेति। मृगविद्येवामयोः॥ वराक्ष हेदादिकरयोरंध्योर्जठरेवदनेतथा // सृष्टिन्यासंविधायैवंस्थितिन्योसंसमाचरेत् // 92 // ऋषिश्छंदश्च / पूर्वोक्तंदेवताविश्वपालिनी // उपविष्टांवल्लभांकेध्यायदेवीमनन्यधीः // 93 // मृगवालंवरंविद्यामक्ष सूत्रंदधत्करैः // मालाविद्यालसद्धस्तांवहन्ध्येयःशिवोगिरम् // 94 // एवंध्यात्वाडकाराद्यान्वर्णानं गेषुविन्यसेत् // गुल्फादिजानुपर्यतस्थितिन्यासोयीरितः॥ 95 // न्यासेसंहारसंज्ञेतुऋषिश्छंदश्च पूर्ववत् // संहारिणीसपत्नानांशारदादेवतास्मृता // 96 // अक्षस्रक्टंकसारंगविद्याहस्तांत्रिलोच नाम् // चंद्रमौलिंकुचानम्ररिक्ताजस्थांगिरंभजे // 97 // सूत्रेदक्षयोः॥ देव्यामालाविद्यदक्षवामयोः॥९४ // 95 // 96 // संहारन्यासेध्यानमाह // अक्षेति / मृगविद्ये वामयोः॥ अक्षम्रक्टंकौदक्षयोः॥ टंकःपरशुः॥९७॥ 1 नमःस्वाहेत्यादि / शंषंकरयोः। संह अंध्योःलंक्षवदनेजठरे / हृदयादाविवजठरवदनयोयंसदित्यर्थः / 2 दक्षिणगुल्फादिक्रमे णपूर्वोक्तस्थानेस्थितिन्यासः। ३क्षकारादिअकारांतान्हतिनवस्थानादारभ्यविलोमक्रमेणसंहारन्यासः मालादक्षेविद्यावामे // 4 // लक्षावी शहातशषःमध्येमध्यकोष्ठतथापूर्वोक्तप्रकारेणनवधाविभज्यपूर्वादिक्रमणद्धौद्धीस्वरीलिखेत् / For Private and Personal Use Only
SR No.020473
Book TitleMantra Mahodadhi Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages545
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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