________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie पुरश्चरणधर्मानाह // आमध्याह्वमिति॥उपांशु शनैर्वोच्चारणं मानसं मनसैव त्रिस्नायीत्रिषवणस्नानशी लः॥१०६॥ अन्यैःसंभाषणमन्यभाषाम् // अंत्यजानामीक्षांदर्शनंत्यजेत् // 107 // 108 // 109 // 110 // होम आमध्याह्नजपंकुर्यादुपांशुंवाथमानसम्॥हविष्यंनिशिभुंजीतविनाय्यभ्यंगवर्जितः॥६॥व्यग्रतालस्य निष्ठीवक्रोधपादप्रसारणम्।।अन्यभाषांत्यजेक्षांचजपकालेत्यजेत्सुधीः ॥७॥स्त्रीशूद्रभाषणनिंदांतांबूलं शयनंदिवा // प्रतिग्रहंनृत्यगीतेकौटिल्यवर्जयेत्सदा // 8 // भूशय्यांब्रह्मचर्यचत्रिकालंदेवतार्चनम् // नैमित्तिकार्चनंदेवस्तुतिविश्वासमाश्रयेत् // 9 // प्रत्यहंप्रत्यहंतावन्नैवन्यूनाधिकंक्वचित् // एवंजपंस माप्यांतेदशांशहोममाचरेत् // 110 // तत्तत्कल्पोदितैर्द्रव्यैस्तद्विधानमुदीर्यते // प्राणायामंषडंगंच कृत्वामूलेनमंत्रवित् // 11 // कुंडेवास्थंडिलेकुर्यात्संस्काराणांचतुष्टयम् // मूलेनेक्षणमस्त्रेणोक्षणं ताडनंकुशैः॥ 12 // वर्मणामुष्टिनासिंच्यलिखेयंत्रंतदन्तरे // वह्निकोणषडस्राष्टदलभूमंदिरात्म कम्॥१३॥मध्येतारपुटीमायांलिखित्वापीठमर्चयेत्॥मंडूकात्परतत्वांतपीठशक्तीर्जयादिकाः॥११॥ विधिमाह / प्राणायाममिति // 111 // अस्त्रंफटवर्मणाहुंकारेण ॥भूमंदिरंचतु:कोणम् // 112 // 113 // 114 // 1 त्रिकालस्नायी। 2 स्त्रीत्यादिअन्यभावेऽन्यस्यैवप्रपंचइतिनपौनरुक्त्यम्। 3 ॐ ह्रीं ॐ / meastLLCOLLLLLLLLLLLLLLL For Private and Personal Use Only