________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir म०म० 130 // सद्यओंकारस्तदादिविलोमेनपंचह्रस्वाः एउइंअंएतदाद्यान्डेनमोंतानादित्यादीन्मूर्धादिषुन्यसेत् // यथा ॥ॐआदित्यायनमोमूर्ध्नि // एरवयेनमोमुखे // उंभानवेनमोहृदि / इंभास्करायनमोलिंगे // अंसूर्या यनमःपादयोः॥७॥वर्णन्यासमाह / / मायेति॥नमोन्वितानित्यपिबोध्यम्॥यथा ॥ॐहींॐश्रींनमोमूनि मूर्ध्निवस्त्रेहदिशिवपादयोश्चप्रविन्यसेत् // सद्यादिपंचह्रस्वाद्यान्चतुर्थीनमसान्वितान् // 7 // मायार मागतानष्टौवर्मान्मूर्धिमुखेगले // हृत्कुक्षिनाभिजंघासुपादयोश्चप्रविन्यसेत् // 8 // स्वरान्सविंदूनुच्चा र्यडेतंशीतांशुमंडलम् // शिखादिकंठपर्यंतंविन्यसेत्संस्मरविधुम् // 9 // स्पर्शानसेंदून्समुच्चा र्यडेंतंभास्करमंडलम्॥कंठादिनाभिपर्यंतंन्यसेद्ध्यायन्प्रभाकरम् // 10 // अहींधूश्रींनमोमुखे॥अँहीणिश्रींनमोगले॥ॐहींतूंश्रींनमोहदि ॥ॐवीयश्रींनमाकुक्षौ॥हींआं श्रींनमो नाभौ // ॐहींदिश्रींनमोलिंगे॥ॐहीत्यं श्रींनमःपादयोः // 8 // मंडलन्यासमाह ॥स्वरानिति // विधुचंद्र स्मरन्चंद्रमंडलंन्यसेत् // यथा ॥अं१६सोममंडलायनमःशिखादिकंठांतम् // 9 // स्पर्शान्कादीन्मांतान / यथाकं२५सूर्यमंडलायनमाकंठादिनाभ्यंतम् // 10 // For Private and Personal Use Only