________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir MC मं०म० सटीक मन्त्रमुद्धरति / पाशमिति // आंद्वींक्रौंयरलवंशंषसं तारान्वितनभः हों सप्ता!वक्ष्यमाण अजपा हंसः वज्रशक्तिर्दडखड्गौपाशोंकुशगदेअपि।त्रिशूलचक्रपद्मानिदशदिक्पालहेतयः॥६८॥एवमिष्ट्वाप्राणशक्तिं पंचावरणसंयुताम्॥ध्यायनहृदिकरधृत्वात्रिर्जपेत्तन्मनुसुधीः॥६९॥वक्ष्येधुनामनोस्तस्योद्धारंध्यातसु खावहम् // पाशं(आं)मायां(ही) सृणि(क्रौं)प्रोच्ययादीन्सप्तेन्दुसंयुतान् // 70 // तारान्वितंनभःसप्तवर्णमंत्रं ततोऽजपाम्॥ममप्राणाइहप्राणाममजीवइहस्थितः॥७॥ममसर्वेन्द्रियाण्युक्त्वाममवाङ्मनईरयेत्॥चक्षुः श्रोत्रघ्राणपदात्प्राणाइहसमीर्य्यच ॥७२॥आगत्यसुखमुच्चार्यचिरंतिष्ठंत्विदंपठेत् ॥वह्निजायां(स्वाहा) चसप्तार्णमंत्रमंतेपुनर्वदेत् // 73 // प्राणप्रतिष्ठामंत्रोयंस्मृतःप्राणनिधापने // ममेत्यस्यपदस्यादौपाशा दीनिसमुच्चरेत् ॥७॥यंत्रेषुप्रतिमादौवाप्राणस्थापनमाचरन् // ममस्थानेतस्यतस्यषष्ठयंतामभिधांव देत् // 75 // सबिंदवोमेरुहंसाकाशाःसर्गीभृगुःपुनः // मायेतिताररुद्धोयमंत्रःसप्ताक्षरोमतः॥ 76 // // 68 // 69 // 70 // 71 // 72 // 73 // 74 // 75 // सप्तार्णमुद्धरति / सबिंदवइति / मेरुःक्षः 1 मंत्रोद्धारः // आंहींक्रौयरलवंशंघसंहोंक्षसंहसाहीहंसाममप्राणाइहप्राणाः // आं०ममजावइहस्थितः // आं०ममसर्वेद्रियाणीह | // 6 // स्थितानि // आंम्ममवाङ्मनश्चक्षुःश्रोत्रघ्राणप्राणाइहागत्यसुखंचिरतिष्ठंतुस्वाहा ॐक्षसंहसःहींॐ॥ For Private and Personal Use Only