________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाशादीति॥ आंहींक्रौमितिपीठमंत्रः॥ 59 // 6 // ध्यानमाह / पाशामिति // षड्डस्तादेवीपाशधनुःशूला निवामहस्तेषुरक्तकपालांकुशबाणान्दक्षेषु रक्तमयोयउदन्वान् समुद्रस्तत्रपोतोनौस्तत्ररक्तप-तत्रस्थिताम् / | नित्याविलासिनीदोग्नीघोरामङ्गलांतिमापाशादिवीजत्रितयं(आह्रींौं)प्रोच्यपीठंदिशेत्ततः॥५९॥ एवंदेहमयेपीठध्यायदेवीमसुप्रदाम् // नवयौवनगढियांपीवरस्तनशोभिनीम् // 60 // पा शंचापासृकपालेमृणीषूश्शूलंहस्तैर्बिभ्रतीरक्तवर्णाम् // रक्तोदन्वत्पतिरक्तांबुजस्थांदेवीध्यायेत्प्राणश तिंत्रिनेत्राम् // 6 // अष्टपत्रस्थषट्कोणेध्यात्वैवंपूजयेत्तुताम् // प्रापक्षोवायुकोणेषुब्रह्मविष्णुशिवान्य जेत // 62 // अग्निवारुणशैवेषवाणीलक्ष्मीहिमाद्रिजाः॥ केसरेषुषडंगानिपत्रेष्वष्टौतुमातरः॥६३॥ ब्राह्मीमाहेश्वरीचापिकौमारीवैष्णवीतथा॥ वाराहीचतथेंद्राणीचामुंडासप्तमीमता // 64 // अष्टमीतुम हालक्ष्मी प्रोक्ताविश्वस्यमातरः॥ देवतापूजनेप्राचीमध्येपूजकपूज्ययोः // 6 // इंद्रादयःस्वदिक्ष्वेव पूजनीयादिगीश्वराः // इंद्रकृशानु कीनाशोनिक्रतिवरुणोनिलः॥ 66 // सोमईशाननामाधोनंतऊ तुम्मुखातितइद्राादकाष्ठासुपूज्यादिक्पालहेतयः॥६७॥ // 6 // 6 // 63 // 64 / / 65 // इंद्रादयःप्रसिद्धदिक्ष्वेवााः // अन्यावरणे पूज्यपूजकयोर्मध्येची॥६६॥ 67 // SSSSSSSSSSSUSUJISATTA 1 अग्नीशासुरवायव्यमध्यदिश्वंगपूजनमितिवक्ष्यमाणप्रकारेणेतिभावः॥ २पूर्वेइंद्रायनमःइतिबोध्यम् / अग्नयेनमः वायवेनमः। S For Private and Personal Use Only