________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पनि // यथा ॥देवकीसूतगोविनायुतोंबुधिमध्यात्तनयान 110 // देव सटीक मं०म० त०१४ // 128 // ॥११०॥मंत्रांतरमाहादेवकीति // यथा // देवकीसुतगाोविंदवासुदेवजगत्पते॥देहिमेतनयंकृष्णत्वामहंशरणं गतइति॥१११॥११२॥११३॥ध्यानमाहाविजयेनेति // अर्जुनेनयुतोबुधिमध्यात्तनयानानीयविप्रायददध्ये | मंत्रेष्वेषुदशाणोक्तान्प्रयोगानविदधीतच // अथपुत्रप्रदंवच्मिकृष्णमंत्रमनुष्टुभम् // 110 // देवकी सुतवीतेगोविंदपदमुच्चरेत् // वासुदेवपदंप्रोच्यसंबुद्धयंतंजगत्पतिम् // 11 // देहिमेतनयंप्रोच्यकृ ष्णत्वामहमीरयेत् / / शरणंगतइत्युक्तोमंत्रोद्वात्रिंशदक्षरः॥ 12 // नारदोमुनिरस्योक्तोनुष्टुप्छंदःसमी रितम्॥ देवःसुतप्रद कृष्ण पादैःसर्वेणचांगकम्॥१३॥विजयेनयुतोरथस्थितःप्रसमानीयसमुद्रमध्यतः॥ प्रददत्तनयाद्विजन्मनेरस्मरणीयोवसुदेवनंदनः॥१४॥लॉजपायुतंहोमस्तिलैर्मधुरसंयुतैः // अर्चापूर्वो दिताचैवंमंत्रःपुत्रप्रदोनृणाम्॥१५॥नृसिंहोमाधवारूढोलोहितोनिगमादिमः॥कृशानुभा-पंचाोमनु विषहरःपरः॥१६॥अनंतपंक्तिपक्षीद्रामुनिश्छंदश्चदेवता।तावह्निप्रियेवीजशक्तीमंत्रस्यकीर्तिते॥१७॥ यः॥ 114 // 115 // हरिप्रसंगात्तद्वाहनस्यगरुडस्यमंत्रमाहू // नृसिंहइति // नृसिंहाक्षः // माधवारूढः इयुतःक्षि // लोहितःयः॥ निगमादिमॐ॥ कृशानुभार्यास्वाहा॥ 116 // 117 // 1 अस्यगोपालमंत्रस्यनारदऋषिःअनुष्टुप्छंदःसुतप्रदःकृष्णोदेवताममाभीष्टसिद्धयर्थे जपेवि०॥२ क्षिपओस्वाहेतिपंचार्णः॥ 3 अस्यगरुडम वस्यअनंतऋषि पंक्तिश्छंदःपक्षीन्द्रोदेवताबीजंस्वाहाशक्तिःममाभीष्टसिद्धयर्थे जपेविनियोगः / // 128 // For Private and Personal Use Only