________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir |संक्रंदनादयइंद्रादयः॥ 102 // 103 // मंत्रांतरमाह // कामेति॥क्कीकृष्णक्कीमितिवेदाक्षरश्चतुर्वर्णः॥१०॥ वासुदेव संकर्षणः प्रद्युम्नश्चानिरुद्धकगारुक्मिणीसत्यभामाचलक्ष्मणाजांबवत्यपि // 2 // संक्रंदनादयः पूज्यावज्राद्यान्यायुधानिच।।एवंसिद्धेमनौमंत्रीसंपदामालयोभवेत् // 3 // कामसंपुटितंकृष्णपदंवेदाक्षरो मनुः // गायत्रीनारदःकृष्णश्छंदोमुनिरधीश्वरः॥४॥ दीर्घारूढेनकामेनषडंगन्यासमाचरेत् // कल्प द्रुमूलसंरूढपद्मस्थंचिंतयेद्धरिम् // 5 // कल्पद्रोरतिरमणीयपल्लवेभ्यप्रोद्भूतैर्मणिनिकरैःप्रसिक्तमी शम् // ध्यायेयंकनकनिभांशुकेवसानं जानंदधिनवनीतपायसानि // 6 // चतुर्लक्षंजपेन्मंत्रंदशांशं बिल्वसंभवैः॥ फलै प्रजुहुयादग्नौयजेदंगानिपूर्ववत् // 7 // महाप-तथाप शंखमकरकच्छपौ // मुकुंदकुंदनीलाश्चनिधीनदिक्षुसमर्चयेत् // 8 // इन्द्रादीनवज्रपूर्वीश्वप्रयजेत्तदनंतरम् // इत्थंजपा दिभिःसिद्धोमंत्रोनिधिरिवापरः॥९॥ ध्यानमाह // कल्पेति // कल्पद्रो कल्पवृक्षस्यप्रसिक्तमभिषिक्तम् // 105 // 106 // 107 // 108 // 109 // 1 अस्यकृष्णमंत्रस्यनारदऋषिःर्गायत्रीछंदःकृष्णोदेवताममाभीष्टसिद्धयर्थे जपे विनियोगः॥ For Private and Personal Use Only