________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie मं०म० // 127 // ध्यानमाह // चिंतति // चिंतामणियुतनिजहस्तेनालिंगिताकांतायेनतम् // सपद्महस्तयापल्यालिंगितं 5 स्वर्णयष्टियुतदक्षकरम्॥९६॥ अंगै रदादिभिः॥ इंद्रादिभिः॥ वजादिभिः॥९७ // 98 // मंत्रांतरमाह॥ कामइति // कींगोवल्लभायस्वाहेति // गायत्रीछंदः // कृष्णोदेवता // ब्रह्माऋषिः॥ 99 // पंचांगमाह // चिंताश्मयुक्तनिजदो परिरब्धकांतमालिंगितंसजलजेनकरेणपत्न्या // सौवर्णवेत्रयुतहस्तमनेकभूषं पीतांबरंभजतकृष्णमभीष्टसिद्धये // 96 // लक्षंजपेदशांशेनपर्लाहोमसमाचरेत् // अंगेर्ना रवृत्रारिवज्रायैःपूजयेद्धरिम् // 97 // नारदंपर्वतंजिष्णुंनिशठोद्धवदारुकान् // विष्वक्सेनंचशेने यदिश्वग्रेविनतासुतम् // 98 // अथाष्टाक्षरी // कामोगोवल्लभोडेंतःस्वाहांतोष्टाक्षरोमनुः // गायत्री कृष्णधातार छंदोदेवर्षयोमताः // 99 // वर्णयुग्मै समस्तेनपंचांगविधिरीरितः // हरिपंचवर्षबजे धावमानस्वसौंदर्यसंमोचितंस्वर्गयोषम्।।यशोदासुतंत्रीगणैर्दृष्टकेलिभजेभूषितंभूषणैर्नूपुराद्यैः॥१०॥ अष्टलक्षंजपेदष्टसहस्रंब्रह्मवृक्षः॥ समिरै प्रजुहुयादंगा दिग्विदिश्वथ // 1 // वर्णेति // कींगोहत् // वल्लशिरः // भायशिखा // स्वाहावर्म॥ सर्वेणास्त्रम् // ध्यानमाह // पंचेति // निजसौंदर्यमोहिताप्सरसम् // 100 // ब्रह्मवृक्षजैः पलाशोत्थैः॥ 101 // 1 अस्याष्टाक्षरिकृष्णमंत्रस्पब्रह्माऋषिगायत्रीछंदःकृष्णोदेवताममाभीष्टसिद्धयर्थे जपेविनियोगः // // 127 // For Private and Personal Use Only