________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - // 88 // 89 // मंत्रांतरमाह // कामेति // क्लीमिति // गोपालमनुः॥ तत्पूजाष्टार्णवत् // अयंस्त्रीवशीकारी // 90 // मंत्रांतरमाह ॥रमेति ॥रमाश्रीं // भवानीह्रीं // कंदर्पःक्कीं // कृष्णाकीस्मृतिर्गः॥ ओयुतागो // विजयापुष्पसंयुक्तजलैःसंतपयच्छतम्॥प्रातःप्रत्यहमेतस्यवांछितंमासतोभवेत् // 88 // अयुतंतुघृतेना गौहत्वासंपातजंघृतम्।।तावजप्तंप्रियाकांतभोजयेदशमेतिसः॥८९॥ कामवीजेणिविन्यापरिचर्योक्तमं त्रवत्।विशेषात्कामिनीवर्गमोहकोमनुनायकः॥९॥रमाभवानीकंदर्पःकृष्णायस्मृतिरोयुता॥विदाय वह्निजायांतोद्वादशा!मनुःस्मृतः॥९१॥ मुनिब्रह्मास्यगायत्रीछंदःकृष्णोस्यदेवताधरकचंद्ररामाब्धि नेत्राणैरंगमीरितम् // 92 // उपासनास्यमंत्रस्यपूर्ववत्परिकीर्तिता॥अथवक्ष्येषोडशा!मनुलोकविमो हुनम् // 93 // अथरुक्मिणीवल्लभमंत्रातारोहद्भगवतेंतेरुक्मिणीतवल्लभः॥ द्विांतःषोडशाोयंना रंदोमुनिरस्यतु॥९॥छन्दोनुष्टुब्देवतातुरुक्मिणीवल्लभोहरिएकद्वियुगसप्ताक्षिवर्णैःपंचांगमीरितम्९५ यथा // श्रींह्रींकीकृष्णायगोविंदायस्वाहेति // 91 // षडंगमाह // धरेति // धराएकः॥ 92 // 93 // मंत्रांतर माह // तारइति // ॐनमोभगवतेरुक्मिणीवल्लभायस्वाहेति // 94 // पंचांगमाह // एकेति // 95 // 1 अस्यद्धादशार्णगोपालमंत्रस्यब्रह्माऋषिःगायत्रीछंदःकृष्णोदेवताममाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपेविनियोगः // 2 अस्यषोडशार्णगोपालमंत्रस्य नारदऋषिरनुष्टुपछंदःरुक्मिणीवल्लभोहरिई वताममाभीष्टसिद्धयर्थे जपेविनियोगः // For Private and Personal Use Only