________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie सटीक त०१ मं०म० मकवर्गेतिक्रमतःपंचममतिप्रयोगः डंकखंघगंआकाशवायुतेजोजलपृथिव्यात्मनेहृदयायनमः वादि // 37 // ऋषीशिरसिवक्रेतछंदांसिहदिदेवताम् // गुह्येवीजपदो शक्तिंन्यस्यकुर्यात्पडंगकम् // 37 // कूवर्ग नभआद्यैर्हच्चशब्दायैःशिर स्मृतम्॥टश्रोत्राद्यैःशिखाप्रोक्तातवर्गायैस्तनुच्छदम्॥३८॥पवक्तव्यादिभि नेत्रमायेनांतरिद्रियैः॥आत्मनेंतान्मनूनंगान्विन्यसे वृदयादिषु // 39 // पंचमंप्रथमंपश्चाद्वितीयंचचतु र्थकम्।।तृतीयमित्थंक्रमतोवर्गवर्णान्समुच्चरेत्॥४०॥यवर्गप्येवमुच्चार्य्यनभः(ह)श्वेतों (पं) तिमो(शं)भृगुः (सं)।विमलश्चेति(लं)चोचार्याक्रमावर्णाःसविंदवः॥४१॥नभोवाय्वग्निवार्भूमिर्नभआदयईरिताः॥शब्द स्पर्शरूपरसगंधा शब्दादयोमताः॥४२॥ श्रोत्रंत्वग्नयनंजिह्वाघ्राणंश्रोत्रादयःस्मृताः॥वापाणी पाद पायूचोपस्थोवागादयःपुनः॥४३॥वक्तव्यादानगमनविसर्गानंदसंज्ञकाः॥ वक्तव्यायाबुद्धिमनोहंकाराश्चि त्तसंयुताः॥४४॥अंतरिद्रियसंज्ञाःस्युरेवमुक्तंपडंगकम्॥नाभेरारभ्यपादांतंपाशवीजप्रविन्यसेत् // 46 // // 38 // 39 // 40 // 41 // 42 // 43 // 44 // 45 // .1 प्रयोगस्तुडंकंखधंगनभोवाय्वग्निवार्भूम्यात्मनेहृदयायनमइत्यादिएवमेवाग्रेपिस्वस्वजातियुक्तंन्यसेत् // 2 // अंचंछंझंजंशब्द स्पर्शरूपरसगंधात्मनेशिरसेस्वाहा ॥२॥णंटठंडंडंश्रोत्रत्वङ्नयनजिद्दामाणात्मनेशिखायैवषट् // 3 // नंतंबंधंदवाक्पाणिपादपायूपस्थात्मने कवचायहुं॥शामपंफंभवक्तव्यादानगमनविसर्गानंदात्मनेनेत्रत्रयायवौषट् // 5 // शेयरंखलंहपंक्षसंलंबुद्धिमनोहंकारचित्तात्मनेअस्त्रायफट।॥६॥ For Private and Personal Use Only