________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुधाबीजं वं भूबीजं लं नभोवीज हं तेनशरीरंसावयवं कुर्यात् // 31 // 32 // चितम्ब्रह्मणःसका सुधाबीजेन(वं)देहोत्थंभस्मसंप्लावयेत्सुधीः॥भूबीजेन(ल)वनीकृत्यभस्मतत्कनकांडवत्॥३१॥ विशुद्ध मुकुराकारंजपवीजविहायसः(हं)।मू‘दिपादपर्य्यतान्यंगानिरचयेत्सुधीः॥३२॥ आकाशादीनिभूता निपुनरुत्पादयञ्चितः॥ सोहंमंत्रेणचात्मानमानयेद्धृदयांबुजे // 33 // कुंडलींजीवमादायपरसंगात्सुधा मयम् // संस्थाप्यहृदयांभोजेमूलाधारगतांस्मरेत् // 34 // भूतशुद्धिविधायैवंप्राणस्थापनमाचरेत्॥ प्राणप्रतिष्ठामंत्रस्यमुनयोजेशपद्मजाः॥ 35 // छंदऋग्यजुषंसामप्राणशक्तिस्तुदेवता / / पाशो(आं)बी जंत्रपा(ह्रीं)शक्तिर्विनियोगोऽसुसंस्थितौ // 36 // शात् // 33 // 34 // 35 // पाशआंत्रपाहीं असुसंस्थितौप्राणस्थापनेविनियोगः // 36 // १चितइति // विलापनव्युत्क्रमणचिदादितोमायादिप्रादुर्भावभावयेत् अहंकारादितआकाशादीनिप्रादुर्भूतानिभावयेदित्यर्थः // 2 // अस्यश्रीप्राणप्रतिष्ठामंत्रस्याजेशपद्मजाऋषयःऋग्यजुःसामानिच्छंदांसिप्राणशक्तिर्देवता आंबीजंह्रींशक्तिःौंकीलकंप्राणस्थापनेविनियोगः॥ SNESSPw For Private and Personal Use Only