________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चतुर्थासनबीजान्याह ॥मायामिति // फातमांसेवलौ // भगेऽद्वाढचेएबिंदुयुतेतेनल्बे // यथा // ह्रींश्रीह्रीं क्लीं सौ.देव्यासनायनमःपादयोः॥ ह्रींश्रींहँसक्तींहसौःचक्रासनायनमःजंघयोः // ह्रीं श्रींहसैंहसलींहसौःसर्व मंत्रासनायनमःजानुनोगह्रीं श्रींह्रींक्कील्वेसाध्यासिद्धासनायनमोलिंगेइत्यासनन्यासः॥ 14 // षडंगमाह // ततइति // श्रीह्रींकींऐसौहृदये ॥ॐह्रीं श्रींशिरः॥ आद्यकूटेनशिखा // मध्यकूटेनकवचं // तृतीयकूटेननेत्र। मायाकामफांतमांसेभगेंदाढयेप्रयोजयेत्॥तुरीयासनपूर्वाणीत्यासनन्यासईरितः॥३४॥ ततःषडंगकुर्वी तपंचभिस्त्रिभिरेकतःएकेनकेनपंचामंत्रस्यक्रमतःसुधीः // 15 // मूलविद्यांसमुच्चार्यप्रणवादिनमों तिकाम् // मध्यमानामिकाभ्यांतुब्रह्मरंधेप्रविन्यसेत् // 16 // सुधांसवंतींवर्णेभ्यःप्लावयंतीनिजांतनुम् // प्रदीपकलिकाकारांमहासौभाग्यदांस्मरेत् // 17 // मुद्रांकृत्वावामकर्णेपरसौभाग्यदंडिनीम् // वाममूर्दादिपादांतंतथामूलंप्रविन्यसेत् // 18 // सौपेक्लींहींश्रीअस्त्रम् // इतिषडंगन्यासः॥१५॥ मंत्रवर्णेभ्योऽमृतक्षरंतीतेननिशरीरमाप्लावयंतींदीपाकारा ब्रह्मरंध्रस्थांसौभाग्यदादेवींध्यायंसतारादिनमोंतमूलमध्यमानामिकाभ्यांशिरसिन्यसेत् // 16 // 17 // पुनर्वामकर्णेपरसौभाग्यदंडिनीमुद्रांकृत्वावामपाधैमूर्धादिपादांतंतारादिनमोतंमूलंन्यसेत् // 18 // For Private and Personal Use Only