________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सटीक त०११ मं०म० अन्यान्यासानाह / मध्यति // इमान् श्रीकंठादिनमीताद्विारद्वयंमध्यानामिकाकनिष्ठांगुष्ठतर्जनीतलपृ Aष्ठेषुन्यसेत् // 9 // इमान्कानित्यतआह // श्रीति // श्रीकंठोकारः॥ अनंतआकारः॥ सौस्वरूपम् // क्रमा // 87 // द्विंद्वादियुतान् // अआएतौसबिंदू // सौसर्गी // यथा // मायाश्रीबीजपूर्वकमिति सर्वन्यासेषुसंबद्धयते // माहींश्रीअंमध्यमाभ्यांनमः॥हीं श्रींआंअनामिकाभ्यांनमः॥ ह्रींश्रीसौ कनिष्ठिकाभ्यांनमःहीं श्रींअंअंगुष्ठाभ्यां मध्यानामाकनिष्ठासुज्येष्ठयोस्तर्जनीद्वयोः // तलेपृष्ठेचकरयोविन्यसेद्दिष्क्रमादिमान् // 9 // श्रीं कंठानंतसौवर्णानबिंदुसर्गसमन्वितान् // नमोंतानकरशुद्धयाख्योन्यासोयंपरिकीर्तितः // 10 // देव्यासनंचप्रथमंतथाचक्रासनंक्रमात् // सर्वमंत्रासनंसाध्यसिद्धासनमितिन्यसेत् // 11 // उनमोतं चबीजाव्यंपजंघाजानुलिंगके // मायांकामशक्तिबीजप्रथमासनपूर्वकम् // 12 // वियदारूढवाक् कामशक्तिबीजानिपूर्वतः // द्वितीयेसंप्रयोज्यानिसहपूर्वाणितत्परे // 13 // नमः॥ह्रींश्रींआंतर्जनीभ्यांनमः॥ह्रीं श्रींसौःकरतलकरपृष्ठाभ्यांनमः॥अयंकरशुद्धिन्यासः॥१०॥आसनन्यास माह // देवीति॥देव्यासनाद्यासनचतुष्कं ॥डेनमोतंचतुर्थीनमोतंबीजाद्यंमायामित्यादिवश्यमाणप्रातिस्वि कबीजपूर्वपज्जंघाजानुलिंगेषुन्यसेत्॥प्रथमासनबीजान्याह॥मायामिति ॥शक्तिःसौचक्रासनबीजान्याह॥ वियदिति // वियतहः // तद्युतानिवागादीनितत्परेतृतीयासनेसहपूर्वाणिवागादीनि // 11 // 12 // 13 // ||87 // For Private and Personal Use Only