________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsur Gyanmandir प. खं०१ मै० म० / द्धिरितीरिता // 12 // ( अथ द्रव्यशुद्धिप्रकारः) पूजाव्याणि मूलास्त्रैः प्रोक्षणीयविशेषतः॥ दर्शयेद्धेनुमुद्रादि द्रव्य शुद्धिरितीरिता॥ // 13 // (अथ देवशुद्धिप्रकारः) पीठे देवं प्रतिष्ठाप्य सकलीकृत्य मंत्रवित् // मूलमंत्रण दीपादीन्माल्यादीनुदकेन च // 14 // सन्दप्र. त्रिवारं प्रोक्षयविद्वान् देवशुद्धिरितीरिता // पंचशुद्धिं विधायेत्यं पश्चाद्यजनमाचरेत् // 15 // (स्थानमंत्रण स्थानं शोधयेत् ) अर्थ तर पोडशोपचाराः // पाद्यार्थ्याचमनीयं च स्नानं वसनभूषणे // गंधपुष्पधूपदीपनैवेद्याचमनं तथा // 16 // तांबू लमर्चनस्तोत्रं तर्पणं चल नमस्क्रियाम्॥प्रयोजयेत्प्रपूजायामुपचारांस्तु पोडश // 17 // अथ पंचोपचाराः॥ गंधं पुष्पं तथा धूपं दीपं नैवेद्यमेव च।। अखंडफल मासाद्य कैवल्यं लभते ध्रुवम् // 18 // (आसनाद्युपचारफलं शैवरत्नाकरे)आवाहनं तु यो दद्यात्स च ऋतुफलं लभेत्॥ आसनं रुचिरं / व दत्त्वा शकतत्त्वमवामुयात् // 19 // पायेन पातकं हन्यादयेणामोत्यनयंताम् / ततश्याचमनं दत्वा सुचित्तः सुखितां ब्रजेत् // 20 // स्नानं व्याधिभयं हन्याइनेणायुष्यवर्द्धनम् // उपवीतं तु यो दद्याद्ब्रह्मवेतृत्वमेव च // 21 // भूषणानि च यो दद्यादनापद्यमवाप्नुयात्।। गंधेन लभते काममक्षतैरक्षतं भवेत् // 22 // नानापुष्यप्रदानेन स्वर्गे राज्यमवाप्नुयात् // धूपो दहति पापानि दीपो मृत्युविना थी शनः // 23 // सर्वमानस्तु नैवेद्य दत्त्वा तृतिरतो भवेत् // मुखवासनदानेन कीर्तिमान् भवति ध्रुवम् // 24 // नीराजनेन शुद्धात्मा 1 बृहत्पाराशरसहितायाम्-आद्ययावाहयद्देवमृचा तु पुरुषोत्तमम् / दितीययासनं दद्यात्याद्यं चैव तृतीयया // अध्ये चतुर्था दातव्यं पंचम्याचमनं तथा। षष्ट्या स्नान NS मकुर्वति सप्तम्या वस्त्रधीतकम् // यज्ञोपवीतं चाष्टम्या नाम्या गंधमेव च / पुष्पं देयं दशम्या तु एकादश्या च धूपकम् // हादश्या दीपकं दद्यात्रयोदश्या निवेदयेत् / चर्तुदश्या नमस्कारं पंचदश्या प्रदक्षिणाः / / षोडश्योदासनं कुर्याच्छेपकर्माणि पूर्ववत् / तच्च सर्व जपेद्भूयः पौरुष सूकनेव च // इति // For Private And Personal Use Only