________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir श्रीगणेशाय नमः॥अथ सर्वदेवोपयोगिपद्धतिप्रारंभः। तत्रादौ पंचांगपूजनं (देवीरहस्ये) जत्वा मंत्री मंत्रराज हुत्वा देवे दशांशतः। तर्पयेत्नद्द शांशेन मार्जयेत्तद्दशांशतः॥ भोजयेत्तदशांशेन मंत्रसिद्धिर्भवेद्धवम् // अथ पञ्चांगपूजने मंत्रोद्धारणक्रमः (आगमचिंतामणौ) होमतर्पणयोः / स्वाहा न्यासपूजनयोर्नमः // मंत्रांते योजयेन्मंत्री जपकाले यथा तथा // अथ संक्षेपतः सर्वासां देवतानां नित्यपूजाविधिः (रुद्रयामले ) आदी ऋष्यादिविन्यासः करशुद्धिस्ततः परम् // अंगुलीव्यापकौ रुत्वा हृदयादिन्यास एव च // 1 // तालत्रयं च दिग्बंधः प्राणायाम स्ततः परम् // ध्यानं पूजा जपश्चैव सर्वतंत्रेष्वयं विधिः // 2 // अथ पूजादिमाहात्म्यम् // पूजया विपुलं राज्यमग्निकार्येण सम्पदः // जपेन पापसंशुद्धिर्ज्ञानध्यानेन मुच्यते // 3 // त्रिकालं गन्धपुष्पाद्यैरचिते दैवते निशि // पुरश्चरणकतेन विनवासौ प्रसीदति // 4 // (तत्रांतरोप ) एकदा वा भवेत्पूजा न जपेत्पूजनं विना / / जपति च भवेत्पूजा पूजांते वा जपेन्मनुम् // 5 // मासाईमथ वा मासमथ वा। द्विगुणं तथा // यावत्फलाप्तिमान्योगी तावदेवं समाचरेत् // 6 // ( मंत्रमहोदधौ ) पूजनेन फलाई स्यादन्यदत्तैस्तु साधनैः // (तंत्रांतरेपि ) यदि पूजाद्यशक्तः स्याद्रव्याभावेन सुंदरि // केवलं जपमात्रेण पुरश्चर्या विधीयते // 7 // नियमः पुरुपे ज्ञेयो न योपिथ त्सु कदाचन // न न्यासो योषितां चात्र न ध्यानं न च पूजनम् // 8 // केवलं जपमात्रेण मंत्राः सिध्यंति योपिताम् // 9 // अथ पूजायां पंचांगशुद्धिः / / (ज्ञानार्णवे ) आत्मा स्थानं मंत्रहव्ये देवशुद्धिस्तु पंचमी // यावन्न कुरुते देवि तस्य देवार्चनं कुतः // पंच। शुद्धिं बिना पूजा ह्यभिचाराय कल्पते // 10 // (अथात्मशुद्धिप्रकारः) सुनातेभूतशुद्धैश्च प्राणायामादिभिः प्रिये // षडंगाद्यखिल न्यासैरात्मशुद्धिरितीरिता // 11 // (अथ मंत्रशुद्धिप्रकारः) ग्रंथिता मातृकावणैर्मूलमंत्राक्षराणि च // क्रमोक्रमाद्विरावृत्त्या मंत्रशु 09 For Private And Personal Use Only