________________ Shri Mahavn Aradhana Kendra www.kabatm.org Acharya Shri Kalassagarsur Gyanmandir त्यै नमः अरुंधतिम् ॥४९॥तहाटे-पूर्वादिक्रमेण ऐयै नमः ऐंद्रीम्॥५०॥कौमार्य नमः कामारीम् // 53 // बाह्मयै नमः ब्राह्मीम् // 52 // बारायै नमः वाराहीम् // 53 // चामुंडायै नमः चामुंडाम् // 54 // वैष्णव्यै नमः वैष्णवीम् // 55 // उत्तरस्या-माहेश्वय नमः माहेश्वरीम् // 56 // वैनायक्यै नमः वैनायकीम् // 57 // इत्यष्टी शनीः प्रतिष्ठाप्य प्रत्येकं सहवाबाहयेत् पूजयेदिति // अत्र एकदेवतायाः पटपंचाशद्रगनायामाधिक्यम् // तत्र शूलमहाकालयोः एकवद्भावत्वात् अमेखिशलस्य ग्रहणात् पृथक्त्वं न, गणिते He सत्यपि एक एव देवता तेन न विरोधः॥ देवतास्तु पटपंचाशदेवेत्यलमिति / / इत्येकोनविंशतिरेखात्मकं सर्वतोभद्रमंडलं समाप्तम् // / अथ चतुस्त्रिंशदेखात्मकं द्वादशलिंगतोभद्रमंडलं सदैवतमाह॥( उक्तं च रुद्रयामले ) रुद्र उवाच // उद्धारं कथयिष्येहं मदर्चार्थ तव प्रिये॥ / चतुस्त्रिंशत समारेखाः कुर्यात्पूर्वोत्तराः शुभाः।। १।।मध्ये वृत्तं समालेब्यं तन्मध्ये तु दशारकम् ।।बहिरटदलं पद्म ततः पोडशपत्रकम्॥२॥चतु। विंशतिपत्राव्यं द्वात्रिंशत्पत्रकं तथा॥चत्वारिंशत्पत्रकं तु वृत्नं सूर्यसमप्रभम्॥३॥खंडेंदुस्विपदैःकोणे शृंखला दशकोटिका॥एकविंशत्पदा वल्ली भद्रं तु पट्पदैस्तथा // 4 // अष्टादशपदं लिंगं भद्रं चाष्टपदं तथा // त्रयोदशपदी वापी कुर्याल्लिंगम्य सन्निधौ // 5 // पूज्योपर्यपि भद्राणि भवंति नवभिः पदैः // एवं द्वादशलिंगाढ्यं वापोषोडशकान्वितम् // 6 // षट्पदाष्टकभद्राढ्यं पृज्यं द्वादशकात्मकम् // मध्ये विंशति भद्रं तु कथितं पूर्वमारिभिः // 7 // वर्णक्रमः // वर्णक्रममथो वक्ष्ये मंडलस्य च सिद्धये / / धृष्टतंडुलपिष्टन कृष्णवर्णन निर्मितम् // 8 // लिंगजातं सितेंदुः स्यादल्ली बिल्वदलप्रभा // शृंखला कृष्णवर्णा च पीतं भद्रव्यं भवेत् // 1 // मिता वाप्यस्तथा पूज्या मध्यभद्रे त्वयं क्रमः // पृज्योपर्यरुणे भद्रे सिते द्वे मध्यमं सितम् // 30 // मत्वं रजस्तमश्चैव बाह्यतः परिधित्रयम // एवं सुशोभित कार्य मंडलं For Private And Personal Use Only