________________ Acharya Shri Kalassagarsur Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org #०म० // 30 // स्योनापृथिविनो भवानुक्षरानिवेशनी॥यच्छानः शर्ममप्रथाः॥ एढेहि वसुधे देवि शैलजीवनकानने // ब्रह्मणः पादमूले तु सान्निध्यं कुरु पू० ख० 1 मे सदा॥ ब्रह्मपादमूले पृथिवीम॥३०॥इममेगंगे, सिंशुभित्यय्यामेधो गंगादिनद्यो जगती (तत्रैव) गंगादिनबाबाहने विनियोगः॥ॐइसमेगंगे भ०म०प्र० यमुनेसरस्वतिशुतुद्रिस्तोम मचतापरुष्णिया। असिनियामरुद्धेवितस्तयाज कीयेशृणुह्यासुषोमया / / गंगे च यमुने चैव गोदावरि सर तरं. 3 स्वति॥नर्मदे सिंधुकावरि मांनिध्यं कुर्वतामिह // तत्रैव गंगादिसप्तमरितः // 31 // धाम्रो, गौतमो वामदेवः सागरोऽनुष्टुप् ( तत्रैव ) सन छ / सागरावाहने विनियोगः॥धानोधानोराजन्नितोवरुणनोमुंच॥ यदापोधियावरुणोतिशपामहेततोवरुणनोमंचमयिवापोमोषधीहिंसीरतोविध - व्यचाभूस्त्येतोवरुणनोमंच॥भारेञ्जरसमद्योदान घृतोदक्षीरकोदकौ॥दधिमंडोदशुद्धोदौ मनैतान स्थापयाम्यहम्॥ तत्रैव सत्रमागरान॥३०॥ तदुपरि मेरुं नाममंत्रेण पूजयेत्।।मेरवे नमः, मेरुमावाहयामि // 33 // ततो मंडलावहिः मोमादिमन्निधौ क्रमेण आयुधान्यावाहयेत् // तत्र क्रमः // सोमसमीपे गदायै नमः, गदामावाहयामि // 34 // ईशानसमीपे-त्रिशूलाय नमः, त्रिशूलमावाहयामि // 35 // इन्द्रम / मीपे-बजाय नमः, व जमावाहयामि // 36 // अग्निसमीपे-शक्तये नमः, शक्तिमावाहयामि / / 37 // यमसमीपे-दंडाय नमः दंडमावाह यामि // 38 // निर्ऋतिसमीपे-खड्गाय नमः खड्गमावाहयामि // 39 // वरुणसमीपे-पाशाय नमः पाशमावाहयामि // 10 // वायु समीपे-अंकुशाय नमः अंकुशमावाहयामि // 41 // तद्वाह्ये उत्तरे-गौतमाय नमः गौतममाबाहयामि // इति सर्वत्र // 42 // ईशान्यां भारद्वाजाय नमः भारद्वाजम् ॥४३॥पूर्वे-विश्वामित्राय नमः विश्वामित्रम् ॥४४॥अग्नेय्यां-कश्यपाय नमः कश्यपम०॥४५॥ दक्षिणे जमदग्नये नमः जमदग्निम् // 46 // नैर्ऋत्यां-वसिष्ठाय नमः वासिष्ठम् // 47 // पश्चिमे-अत्रये नमः अत्रिम् // 48 // वायव्याम्-अरुंध 81 // 30 // For Private And Personal Use Only