________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir जगच्चक्षुर्विश्वजन्मस्थितिसंहारकारकम्॥ दुर्गापूर्व विष्णम् // 24 // उदीरतामवर, शंखः स्वधा पितरविष्टुप् ब्रह्माग्न्योर्मध्ये स्वधावाहने विनियोगः॥ ॐ उदीरतामवरउत्परासउन्मध्यमाःपितरःसौम्यासः // असुंयईयुवकाऋतज्ञास्तेनोवंतुपितरोहवेषु॥कव्यमादाय सततं पितृ यो या प्रयच्छति॥तिष्ठत्युदीच्या दिश्यर्कच्छविमावाहये स्वधाम्॥ब्रह्माग्न्योर्मध्ये स्वधाम् // 25 // परंमृत्यो, संकुशिको मृत्युरोगान्त्रि टुप् ब्रह्मयमयोर्मध्ये मृत्युरोगावाहने विनियोगः // ॐ परंमृत्योअनुपरेहिपंथांयस्तेस्वइतरोदेवयानात् // चक्षुष्मंतेशृण्वतेतेबवीमानः जारीरिषोमोतवीरान्॥इहोपहूतो भगवान मृत्युः शामित्रकर्मणि॥ न कश्चिम्रियते तावद्यावदास्त इहांतकः॥ ब्रह्मयममध्ये मृत्युरोगान्॥ // 26 // गणानांत्वा, शौनको गृत्समदो गणपतिर्जगती ब्रह्मनिर्ऋत्योर्मध्ये गणपत्यावाहने विनियोगः।। ॐ गणानांत्वागणपतिहवामहे॥ कविं कवीनामुपमश्रवस्तमम्॥ज्येष्ठाराजंब्रह्मणाब्रह्मणस्पतिआनःशृण्वन्नूतिभिःसीदसानम्॥ एकदंतं महाकायं पद्मकांचनसन्निभम्॥लंबोदर विशालाक्षं बंदेहं गणनायकम्॥ ब्रह्मनितिमध्ये गणपतिम् // 27 // शन्नोदेवीः, आंबरीषः सिंधुढीप आपो यागत्री ब्रह्मवरुणयोर्मध्ये अबावाहने विनियोगः // ॐ शन्नोदेवीरभीष्टयआपोभवन्तुपीतये // शंयोरभिनवंतुनः // स्वच्छाः पवित्रा जनशुद्धिबीजा यादोभिरत्यंतभयंकाराश्च // कुर्वतु सान्निध्यमांबुवेगास्सर्वस्य विश्वस्य च जीवरूपाः॥ब्रह्मवरुणमध्ये अपः // 28 // मरुतो यस्य, राहूगणो गौतमो मरुतो गायत्री ब्रह्मवाय्योमध्ये मरुदावाहने विनियोगः // ॐ मरुतोयस्यहिक्षयेपाथादिवोविमहसः ससुगोपात मोजनः // आगच्छ त्वं महादेव मृगारूढ प्रभंजन // यज्ञसंरक्षणार्थाय मंडले त्वं स्थिरो भव // ब्रह्मवायुमध्ये मरुद्भयो / नमः मरुतः // 29 // स्योनापृथिवि, काण्वो मेधातिथि मिर्गायत्री ब्रह्मणः पादमूले कर्णिकाधः पृथिव्यावाहने विनियोगः // ॐ For Private And Personal Use Only