________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir मं० म. त्यमहिजातेअर्बन // एढेहि षण्मुख सुरेश्वर तारकारे श्रीनीलकंठवरवाहन शक्तिपाणे // ओंकारकोटरसुरेश्वरपूज्यमान सांनिध्यमत्र कुरु पू० ख०१ ब्रह्मकुबेरमध्ये // इति स्कंदम्॥१८॥ तत्रैव // ऋषभम्, ऋषभो वैराजो नंदीश्वरोनुष्टुप् ब्रह्मसोमयोमध्ये नंदीश्वरावाहने विनियोगः॥ॐ भ०म०प्र० ऋष मासमानानां सपत्नानां वृषासहिम् // हंतारं शत्रुणां कधि विराजं गोपतिं गवाम्॥आवाहयाम्यहं देवं वृषभं सर्वपूजितम॥ महादेवा शतरं० 3 सने मुख्यं सर्वसिद्धिप्रदायकम्॥ स्कंदादुत्तरे नंदिनम् // 19 // कबुद्राय, घोरः कण्वः शूलो गायत्री तदुत्तरे शृलावाहने विनियोगः // ॐ कद्रुद्रायप्रचेतसेमीढुष्टमायतव्यसेवोचेमशंतमंहदे ॥आवाहयामि तं शूलं शस्त्रराज महोज्ज्वलम्॥दुष्टारिघातने दक्ष शिवबाहुविराजितम्॥ तत्रैव शूलम्॥२०॥कुमार, कुमारो महाकालविष्टुप् तदुत्तरे महाकालाबाहने विनियोगः॥ ॐ कुमारंमातायुवतिःममुग्धंगुहाविभर्तिनददाति / ) पत्र॥अनिकमस्यनमिनजानासः पुरःपश्यंतिनिहितमरातौ॥ नित्यं च शाश्वतं शुद्धं ध्रुवमक्षरमव्ययम् // सर्वव्यापिनमीशानं रुद्रं वै विश्वरूपि जाणम्॥ शूलादुत्तरे महाकालम् // 23 // अदितिः, लौक्यो बृहस्पतिर्दक्षोनुष्टुप् ब्रह्मेशानयोर्मध्ये दक्षाबाहने विनियोगः / / ॐ आंदेतिजिनि / टदक्षयादुहितातवतान्देवाअन्वजायंतभद्राअमृतबंधवः॥ आवाहयामि तान् देवान कैलासाधिपपार्षदान् // दक्षादिप्रमुखान् मतगणाञ्जीव मुखावहान् // ब्रह्मेशानयोर्मध्ये दक्षादिसप्तगणान् // 22 // तामग्निवर्णा, सौभरिर्दुर्गास्त्रिष्टुप् ब्रह्मेद्रयोर्मध्ये दुर्गावाहने विनियोगः // ॐa तामग्निवर्णातपसाज्वलंतीवैरोचनीं कर्मफलेषुजुष्टाम् / / दुर्गादेवीशरणमहंप्रपद्येमुतरामतरतेनमः॥ आगच्छ कोकिले दुर्गे सिंहारूढे महाभुजे॥ विंध्याचलकतावासे मंडले त्वं समाविश // ब्रांद्रमध्ये दुर्गाम् // 23 // इदंविष्णुः, काण्वो मेधातिथिविष्णुर्गायत्री ब्रह्मेश्योर्मध्ये // 29 // विष्ण्यावाहने विनियोगः // ॐ इदंविष्णुविचक्रमेत्रेधानिदधेपदम् // समृढमस्यपासुरे // आवाहयाम्यहं देवं श्रीविष्णुं कमलापतिम् // For Private And Personal Use Only