________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir अख्यावाहने विनियोगः // ॐ अश्विनावतिरस्मादागोमदनाहिरण्यवत् // अग्रिथंसमनसानियच्छतम् // रूपेणाप्रतिमौ देवौ सूर्यस्य तनयावभी / / बडवागर्भसंभता मंडले विशतामभौ // इंद्राग्योमध्ये अश्विनी // 13 // मोमामः, मधुच्छंदा विश्वेदेवा गायत्री अग्नि यमयोर्मध्ये विश्वेदेवावाहने विनियोगः // ॐ सोमासश्चर्षणीधृतोविश्वेदेवासआगतदावामोदाशुषः सुत // कनर्दक्षो वसुः सत्यः कामली / धूम्रलोचनौ / पुरुरवायचब विश्वेदेवा इभे दश // सोमपा अग्निप्वानाश्च बर्हिषदस्तु कालकाः।एकभंगो बसुचव द्वितीयः सोमपास्तथा। अग्नियममध्ये विश्वेदेवान नपैतृकान् // 14 // अभित्यं, देवो गौतमो बामदेवः सप्त यक्षा अष्टी यमनिर्भन्योर्मध्ये सप्तयक्षावाहने / विनियोगः॥ ॐ अभियं देवं मवितारगण्योः कविक्रतुम मिलत्यसवसंरत्नधामभिप्रियमति।। मृर्घायस्यामतिर्भाअदियतत्सवीमनिहिरण्य | पाणिरमिमीतसुक्रतुः कपासुवः // अहमावाहयिष्यामि सप्तयक्षान्महाबलान् // पुण्यरूपान पुण्यजनान पुण्यकर्मरतान्मदा // यमनैर्ऋत मध्ये सप्त यक्षान् // 35 // आयंगौः, मार्पराज्ञी सर्या गायत्री नितिवरुणमध्येसावाहने विनियोगः // ॐ आयंगौःपृश्निरक्रमीदमद मातरंपुरः पितरंचप्रान्स्वः / / आवाहयाम्यहं देवान्भूतनागान् महाबलान // सर्पराजान्महाकायान्मणिमंडलभूषितान् // निति व वरुणमध्ये भृतनागान् // 16 // अप्सरमाम, ऐतश ऋष्यशृंगो गंधर्वाप्सरमोनुष्टुप् वरुणवाय्वोर्मध्ये गंधर्वामरसआवाहने विनियोगः / / || ॐ अप्सरसांगंधर्वाणांमृगाणाचरणेचरन // केशीकेतस्यविद्वानसस्वास्वादमर्दितमः // आबयामि गंधर्वान सासरोगीततत्परान् // हाहाहूहूश्चैवमाद्यान् गंधर्वाप्सरसस्तथा / / वरुणवायुमध्ये गंधर्वाप्सरोयो नमः गंधर्वाप्सरसः // 17 // यदकंद, औचाथ्यो दीर्घतमास्कंद बिष्टुप् ब्रह्मसोममध्ये स्कंदावाहने विनियोगः // ॐ यदकंदःप्रथमंजायमानउद्यन्त्समुद्रातवापुरीपान // श्येनस्यपक्षाहारणस्यबाहूउपस्तु For Private And Personal Use Only