________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir म. म. दुरासदम् // नैर्ऋत्यां निर्ऋतिम् // 7 // तत्त्वायामि, शुनःशेपो वरुणस्त्रिष्टुप् पश्चिमे वरुणावाहने विनियोगः // ॐ भ० म०प्र० // 28 // // तत्त्वायामिब्रह्मणावन्दमानस्तदाशास्तेयजमानोहविभिः // अहेडयानोवरुणहवाध्युरुशर्कसमानआयुःप्रमोषीः // आवाहयाम्यह तरं०३ / देवं वरुणं कमलेक्षणम् // रक्तांबरधरं देवं रक्तमालाविभूषितम् // पश्चिमे वरुणम् // 8 // वायोशतं, वामदेवो वायुरनुष्टुप् वायव्यां / वाग्याबाहने विनियोगः // ॐ वायो शत हराणायुवस्वपोष्याणाम् // उतबातेसहस्रिणोरथ आयातुपाजसा // अहमावाहयिष्यामि / वायुं सर्वत्र व्यापिनम् // ऊर्ध्वकेशं विरूपाक्ष सर्वचैतन्यरूपिणम् // वायव्यां वायुम् // 1 // ज्मयाअत्र, मैत्रावरुणौ बसवस्त्रिष्टुप् वायु / सोमयोर्मध्ये वस्यावाहने विनियोगः // ॐ ज्मयाअत्रवसवोरेतदेवाउरावंतरिक्षेमर्जयंतशुधाः // अपिथउरुज्रयः कृणुध्वं श्रोतादूतस्य जग्मुपोनोअस्य // धरो ध्रुवश्च रोमच आपश्चैव नलोनलः // प्रत्यूषश्च प्रभातश्च वसवोष्टौ प्रकीर्तिताः॥वायुसोममध्ये अष्टौ वसून् // 10 // * आरुद्रासः, श्यावाश्च एकादश रुद्रा जगती सोमेशयोर्मध्ये एकादशरुद्राबाहने विनियोगः॥ ॐ आरुद्रासइंद्रवंतः सजोषसोहिरण्यरथाः सुवितायगंतनइयंवोअस्मत्पतिहर्यतेमतिस्तृप्याजेनदिवउत्साउदन्यवे // अजैकपादहिर्बुध्न्यो विरूपाक्षोथ रैवतः॥ हरश्च बहुरूपश्च व्यंबकश्च सुरेश्वरः // सविता च जयंतश्च पिनाकी रुद्र एव च // सोमेशानयोर्मध्ये एकादश रुद्रान् // 11 // त्यांनु, मत्स्यः / / सामदो द्वादशादित्या गायत्री ईशानेंद्रयोर्मध्ये द्वादशादित्यावाहने विनियोगः॥ ॐ त्यांनुक्षत्रियाम् अवआदित्यान्याचिषामहेसुमृलीकां अभीष्टये // धाता मित्रो यमश्वेन्द्रो वरुणः सूर्य एव च // भनो विवश्वान् पुरुषः सविता विष्णुरेव च // त्वष्टेति द्वादशादित्यान् // 28 // पूजयामि यथाविधि // ईशानेन्द्रयोर्मध्ये द्वादशादित्यान् // 12 // अश्विनावर्ति, राहुगणो गौतमोऽश्विनावृष्णिक् इन्द्राग्योर्मध्ये HALतनइयंबोअस्मत्यातहलमा जगती सोमेशयोमध्य मत्यूपश्च प्रभातश्च वसा For Private And Personal Use Only