________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir एोहि धातस्तु समस्तसृष्टेः पद्मोद्भवः पद्मसुखप्रदातः। सुरासुरैर्वदितपादपद्म यज्ञे ममास्मिन्कुरु सन्निधानम्॥ भो ब्रह्मन इहागच्छ इह तिष्ट पूजां गृहाण मम संमुखः सुप्रसन्नो वरदो भव // 1 // इत्येवंप्रकारेण सर्वत्र देवतानामावाहनादिकं ज्ञेयम् // ततः उदीचीमारण्य वायवी नपर्यतं सोमादयोऽष्टौ लोकपालाः स्थापनीयाः। तत्र क्रमः-आप्यायस्व, राहूगणो गौतमः सोमो गायत्री उत्तरे सोमावाहने विनियोगः // ॐ आप्यायस्वसमेतुतेविश्वतःसोमवृष्णियंभवावाजस्यसंगथे / कुबेरं गुह्यकाध्यक्ष मुरासुरनमस्कृतम् // धनदं शिविकारूढं चिंतयामि सदाप्रियम्।।उत्तरे सोमम् // 2 // अभित्या, आजीगतिः शुनःशेप ईशानो गायत्री ईशान्यामांशानावाहने विनियोगः // ॐ अभित्वा देवस वितरीशानवार्याणांसदावनभागमीमहे // आवाहयाम्यहं देवमाशानं च वरप्रदम् // सर्वलोकप्रपूज्यं त्वामीशानं पूजयाम्यहम् // ईशान्या मीशानम् // 3 // इन्द्रंबो,मधुच्छंदा इंद्री गायत्री पूर्व इंद्रावाहने विनियोगः // इंद्रवोविश्वतस्परिहवामहेजनन्यः अस्माकमस्तुकेवलः।। आवाहयाम्यहं देवं महेंद्रं च महाप्रभुम् // पीतवर्ण गजारूढं वज्रपाणिं सुरेश्वरम् // पूर्व इंद्रम् // 4 // अनिं दूतं, काण्वो मेधातिथिरग्नि गायत्री आग्नेय्यामग्न्यावाहने विनियोगः // ॐ अमिंदृतंवृणीमहेहोतारंविश्ववेदमअस्ययज्ञस्यसुक्रतुम् / / अथामिमूर्ति ध्यायामि सर्वाभीष्ट फलप्रदाम् // एकजिह्वां द्विशीर्षा च जटामुकुटमण्डिताम् // आमेश्यामनिम् // 5 // यमाय सोम, वैवस्वतो यमोऽनुष्टुप् दक्षिणे यमा वाहने विनियोगः॥ ॐ यमायसोम सुनुयमायजुहृताहविःयम हयज्ञोगच्छत्यग्निदूतोअरंकतः // अवाहयाम्यहं देवं यमं महिषवाहनम् / / ऊर्ध्वकेशं विरूपाक्षं भैरवं रक्तलोचनम् // दक्षिणे यमम॥६॥मोषुणो, घोरः कण्वो निर्कतिर्गायत्री नैर्ऋत्यां निर्ऋत्यावाहने विनियोगः॥ ॐ मोषुणः परापरानिक्रति र्हणावधीत् // पदीष्टतृष्णयासह // आवाहयाम्यहं देवं नितिं श्वेतरूपिणम् // लंबकेशं विरूपाक्षं खड्गपाणिं namaATANERISPIRMANNADE For Private And Personal Use Only