________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir लक्षणम् // कनिष्ठांगुष्ठको सक्ती करयोरितरेतरम् // तर्जनी मध्यमानामा संहता भुग्नवर्जिताः // मुद्रपा गालिनी प्रोक्ता शंखकस्यो / पचालिता // इति गालिनी मुद्रा // 1 // दशांगुष्ठे परांगुष्ठे क्षिप्त्वा हस्तव्येन तु // सावकाशामेकमुष्टिं कुर्यात्सा कुंभमुद्रिका // इति कुंभमुद्रा // 2 // मुष्टयोरूर्द्धकतांगुष्ठौ तर्जन्यग्रे तु विन्यसेत् // सर्वरक्षाकरी ह्येषा कुंभमुद्रेयमीरिता // इति कुंभमुद्रा द्वितीया // kam2 // प्रमृतांगुलिको हस्तौ मिथः श्लिष्टौ च संमुखौ // कुर्य्यात्स्वहृदये सेयं मुद्रा प्रार्थनसंज्ञिका // इति प्रार्थनामुद्रा // 3 // अंजल्यंजलिमुद्रा स्याद्वासुदेवाभिधा न सा // इत्यंजलिमुद्रा // 4 // अंगुष्ठावुन्नतौ कृत्वा मुष्टयोः संलमयोर्द्वयोः॥ तावेवाभिमुखौ कुन्मिदैषा कालकर्णिका // इति कालकर्णी मुद्रा // 5 // दक्षिणा निबिडा मुष्टिरनामाप्तितर्जनी // मुद्रा विस्मयसंज्ञा स्थाविस्मयावेशकारिणी // इति विस्मयमुद्रा // 6 // मुष्टिरूईकांगुष्ठा दक्षिणा नादमुद्रिका // तर्जन्यंगुष्ठसंयोगादयतो बिंदुमुद्रिका इति बिंदुमुद्रा // 7 // अधोमुखे वामहस्ते ऊर्द्ध स्याद्दक्षहस्तकम् / क्षिप्त्वांगुलीरंगुलीभिः संयथ्य परिवर्तयेत् // एषा संहारमुद्रा स्यादिसर्जनविधौ स्मृता // इति संहारमुद्रा // 8 // दक्षपाणिपृष्ठदेशे वामपाणितलं न्यसेत् // अंगुष्ठौ चालयेत्सम्यङ्मुद्रेयं / मत्स्यरूपिणी इति मत्स्यमुद्रा // 9 // वामहस्तस्य तर्जन्यां दक्षिणस्य करस्य च / वामस्य पितृतीर्थेन / , मध्यमानामिके तथा // अधोमुखैश्च तैः कुर्याइक्षिणस्य करस्य च / कूर्मपृष्ठसमं कुर्यादक्षं पाणिं च सर्वतः // कर्ममुद्रे नयमाख्याता देवताध्यानकर्मणि // इति कूर्ममुद्रा // 10 // पृष्ठे क्रोडांतरेंगुष्ठमुष्टिं कृत्वा करस्य च // मध्यमायं तु || दक्षस्य तथालंब्य प्रयत्नतः॥ मध्यमेनाथ तर्जन्यामंगुष्ठाये तु योजयेत् // दक्षिणं योजयेत्पाणिं बाममुष्टौ तु साधकः // दर्शये MIM For Private And Personal Use Only