________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir तयोरेकतमं पूज्यं रुद्रदेह इवापरः // 597 // // भाद्रमार्गमाधेष नवरात्रे वा गणेशमंत्रपुरश्चरणविधानं ( चन्द्रपीठे ) अथ , वान्यप्रकारेण पुरश्चरणमिप्यते // भाद्रेपि विनराजत्वं माघमार्गों स्ववासरात् // 598 // अन्येष्वपि च मंत्रेषु पूर्वोक्तं नवरात्र कम् // जपो मातृकया प्रातःकालान्मध्यंदिनावधि // 599 // रात्रौ याममितः कार्यः पयोमुलफलाशिना // चतुर्थयामे कर्तन व्या मालामंत्रे दशांशतः // 600 // विशांशादा दशांशावा अन्येष्वपि हुतं मतम् // दक्षिणा च यथोक्ता च वित्तशाम्यं न कारयेत् // एवं मंत्रः प्रयोगाी भवत्येव न संशयः // 601 / आश्विने चैत्रे वा प्रतिपदामाराय महानवमीपर्यंत नवरात्रे शक्ति | पुरश्चरणविधानं (चन्द्रपीठे ) अथ वान्यप्रकारेण पुरश्चरणमिप्यते // महालक्ष्मी समारण्य आमहानवमीश्वरीम् // कृष्णामा नवमी। चैव मधौ शक्तर्मनी स्मृते // 602 // शरत्काले चतुर्थ्यादिनवम्यंतं षड्दिनपुरश्चरणविधानम् ( तंत्रांतरे ) अथ वान्यप्रकारेण पुरश्चरण मिष्यते॥शरत्काले चतुर्थ्यादिनवम्यंत विशेषतः // 603 // भक्तितः पूजयित्वा तु रात्रौ तावत्सहस्रकम्॥जपेदेव तु विजने केवलं ति मिरालये // 604 // अष्टम्यादिनवम्यंतमुपवासपरो भवेत् // स भवेत्सर्वसिद्धीशो नात्र कार्या विचारणा // 605 // पुत्रजन्मोत्सव दिने पुरश्चरणविधानं (देवीरहस्ये ) अथ वान्यप्रकारेण पुरश्चरणमिप्यते // पुत्रजन्मोत्सवदिने सूतिकाकुलमंदिरे // 606 // मांत्रिको मूलमंत्र स्वं जपेद्दशदिनावधि।।दशांशसंस्कृतं मंत्रं कुर्यात्सिद्धो भवेन्मनुः॥६०७॥ मृतसूतकदिने पुरश्चरणविधानम्॥( देवीरहस्ये ) अथ का वान्यप्रकारेण पुरश्चरणमिष्यते। मृतकाशौचदिवसे प्रथमे साधको जपेत् // 608 // मनुं दशदिनं रात्रौ धारो भूत्वा यथार्थतः // एका दशाहानि सुधीः कुर्यान्मंत्रं सुसंस्कृतम्॥कर्मणा मनसा वाचा मंत्रः कल्पद्रुमो भवेत् // 609 // (अथ मंत्रसिद्धिचिह्नानि वक्रतुडकल्पे) For Private And Personal Use Only